Sunday, December 30, 2018

Woh! وہ! वोह!

:: وہ ::
وہی تو ہے جو میری زندگی میں رہتی ہے٠
میرے وجود کی تنہا دُھری میں رہتی ہے ٠
عذاب دیتا ہوں ناآشنائی کا اُس کو ٠
وہ میری آشنا بن کر مجھی میں رہتی ہے ٠
میں اُس کی ذات سے بے پرواہ اپنے محور پر ٠
بُجھی بُجھی سی وہ اپنی ہنسی میں رہتی ہے ٠
وہ تب بھی سوچتی ہے مجھ کو تب بھی سوچتی ہے ٠
خدا کے سامنے جب عاجزی میں رہتی ہے ٠
وہ بےغرض ہے شریکِ حیات ہے "تشنہ" ٠
 نبھی نہ مجھ سے اُسی دوستی میں رہتی ہے٠
کلام : مسعود بیگ تشنہ
:: वोह ::
वही तो है जो मेरी ज़िन्दगी में रहती है.
मेरे वुजूद की तन्हा धुरी में रहती है.
अज़ाब देता हूं नाआशनाई का उस को.
वो मेरी आशना बन कर मुझी में रहती है.
मैं उसकी ज़ात से बे परवाह अपने मेहवर पर.
बुझी बुझी सी वो अपनी हंसी में रहती है.
वोह तब भी सोचती है मुझ को तब भी सोचती है.
ख़ुदा के सामने जब आजिज़ी में रहती है.
वोह बे गरज़ है, शरीक ए हयात है मेरी.
निभी न मुझ से उसी दोस्ती में रहती है.
कलाम : मसूद बेग तिश्ना
:: Woh ::
Wohi to hai jo meri zindagi meiN rehti hai.
Mere wujood ki tanha dhuri meiN rehti hai.
Azaab deta huN na aashanaai ka usko.
Woh meri aashana ban kar mujhi meiN rehti hai.
MaiN uski zaat se be parwa apne mehwar par.
Bujhi bujhi si woh apni hansi meiN rehti hai.
Woh tab bhi sochti hai mujh ko tab bhi sochti hai.
Khuda ke saamne jab aajizi meiN rehti hai.
Woh be - gharaz hai, shareek e hayaat hai "Tishna".
Nibhi na mujh se usi dosti meiN rehti hai.
Kalaam : Masood Baig Tishna

Thursday, December 27, 2018

Aah! Hamidi Kashmiri آہ! حامدی کاشمیری आह! हामिदी काश्मीरी

:: آہ! حامدی کاشمیری ::
حامدی تھے کاشمیری شاعر گلگوں جناب ٠
اکتشافی نقد کے موجد بھی، سنجیدہ خطاب ٠
زعفرانی رنگ مٹی میں سپرد خاک آج ٠
سو گیا کشمیر کی وادی کا روشن ماہتاب ٠
گلہائے عقیدت : مسعود بیگ تشنہ برہانپوری ،اندور
:: Aah! Hamidi Kashmiri ::
Hamidi the kashmiri shair e gulgooN janab.
Ikteshafi naqd ke mujid bhi, sanjida khitab
Zafrani raNg mitti meiN sapurd e khak aaj.
So gaya kashmir ki wadi ka raushan mahtab.
Gulhaye aqidat : Masood Baig Tishna,Indore
:: आह! हामिदी काश्मीरी ::
हामिदी थे काश्मीरी शाइर ए गुलगूं जनाब.
एक्तिशाफ़ी नक़्द के मूजिद भी, संजीदा खिताब.
ज़ाफ़्रानी रंग मिट्टी में सपुर्द ए खाक आज.
सो गया कश्मीर की वादी का रौशन माहताब.
गुल हाए अक़ीदत :मसूद बेग तिश्ना, इंदौर 

Wednesday, December 12, 2018

Naii Raushani نئی روشنی नई रौशनी

:: نئی روشنی ::
ہے نظر کے سامنے اب نئی صبح کا سویرا ٠
کہیں بد نظر نہ ڈالے برے وقت کا اندھیرا ٠
چلو مل کے بانٹتے ہیں نئی روشنی کو "تشنہ" ٠
یہ اجالا ہے سبھی کا نہیں ہے یہ تیرا میرا ٠
کلام : مسعود بیگ تشنہ
:: Naii raushani ::
Hai nazar ke saamne ab naii sub'h ka savera.
KaheiN bad nazar na daale bure waqt ka andhera.
Chalo mil ke baaNt'te haiN naii raushani ko "Tishna".
Ye ujaala hai sabhi ka, ye naheiN hai tera mera.
Kalaam : Masood Baig Tishna
:: नई रोशनी ::
है नज़र के सामने अब नई सुब्ह का सवेरा.
कहीं बद नज़र न डाले बुरे वक़्त का अंधेरा.
चलो मिल के बांटते हैं नई रौशनी को "तिश्ना".
ये उजाला है सभी का नहीं है ये तेरा मेरा.
कलाम : मसूद बेग तिश्ना

Tuesday, December 11, 2018

Badlao Ki Lahar بدلاؤ کی لہر बदलाव की लहर


:: بدلاؤ کی لہر ::
لہر چلی ہے، لہر چلی ہے، بدلاؤ کی لہر چلی ہے ٠
جھوٹ فریب کے دن گنتی کے،  سدبھاؤ کی لہر چلی ہے ٠
جملہ بازی، نفرت سازی ، بھیڑ کی ہنسا کو آزادی ٠
اوچھے داؤ پڑے اب الٹے ، سیدھے داؤ کی لہر چلی ہے ٠
کلام : مسعود بیگ تشنہ
:: बदलाव की लहर ::
लहर चली है, लहर चली है, बदलाव की लहर चली है.
झूठ फ़रेब के दिन गिनती के, अब सद्भाव की लहर चली है.
जुमला बाज़ी, नफ़रत साज़ी , भीड़ की हिंसा को आज़ादी.
ओछे दाव पड़े अब उल्टे, सीधे दाव की लहर चली है.
कलाम : मसूद बेग तिश्ना
:: Badlao ki lahar ::
Lahar chali hai, lahar chali hai, badlao ki lahar chali hai.
Jhoot fareb ke din ginti ke, sadbhao ki lahar chali hai.
Jumla bazi, nafrat saazi ,  bheed ki hinsa ko azaadi.
Ochhe dao pade ab ulte , seedhe dao ki lahar chali hai.
Kalaam : Masood Baig Tishna


Monday, December 10, 2018

Fikr o Wijdaan فکر و وجدان फ़िक्र ओ विजदान

:: فکر و وجدان ::
فکر کا عنصر جب بھی غالب ہوتا ہے ٠
وجدان بھی اپنی فکر کا طالب ہوتا ہے ٠
شاعر کی بھی روح مچلتی ہے "تشنہ" ٠
جذبہ بھی اک جان دو قالب ہوتا ہے ٠
کلام : مسعود بیگ تشنہ
:: फ़िक्र ओ विजदान ::
फ़िक्र का उन्सर जब भी ग़ालिब होता है.
विजदान भी अपनी फ़िक्र का तालिब होता है.
शाइर की भी रूह मचलती है "तिश्ना".
जज़्बा भी इक जान दो क़ालिब होता है.
कलाम : मसूद बेग तिश्ना
:: Fikr o wijdaan ::
Fikr ka unsar jab bhi ghaalib hota hai.
Wijdaan bhi apni fikr ka taalib hota hai.
Shair ki bhi rooh machalti hai "Tishna".
Jazba bhi ik jaan do qaalib hota hai.
Kalaam : Masood Baig Tishna 

Thursday, December 6, 2018

Muslim Dushmani مسلم دشمنی मुस्लिम दुश्मनी

::مسلم دشمنی ::
 یہ مسلم دشمنی رنگ لا رہی ہے ٠
سبودھ 1 جیسی بلی دی جارہی ہے ٠
یہ قاتل سوچ سرکاروں کی تشنہ ٠
اراجکتا 2 کا دمبھ پھیلا رہی ہے ٠
کلام : مسعود بیگ تشنہ
1: بلند شہر میں اراجک بھیڑ کا شکار شہید پولس افسر
2: انارکی
:: Muslim Dushmani ::
Ye muslim dushmani raNg la rahi hai.
Subodh1 jaisi bali di ja rahi hai.
Ye qaatil soch sarkaroN ki "Tishna".
Arakakta 2 ka dambh phaila rahi hai.
Kalaam : Masood Baig Tishna
1: Buland Shahar meiN arajak bheed ka shikar shaheed police officer
2: Anarchi
:: मुस्लिम दुश्मनी ::
ये मुस्लिम दुश्मनी रंग ला रही है.
सुबोध 1 जैसी बलि दी जा रही है.
ये क़ातिल सोच सरकारों की "तिश्ना".
अराजकता का दम्भ फैला रही है.
कलाम : मसूद बेग तिश्ना
1: बुलंद शहर में अराजक भीड़ का शिकार शहीद पुलिस अफसर सुबोध कुमार

Sunday, December 2, 2018

GHAZAL غزل ग़ज़ल

:: غزل ::
چناؤ کا وہ نشان لے گا ٠
یقین لے گا، گمان لے گا ٠
بتائے گا وقت آنے والا ٠
کون اپنے ہاتھوں کمان لے گا ٠
زمین بخشے نہ آسماں ہی ٠
جو ظلم بوئے گا جان لے گا ٠
شہید مسجد کرے یا لے لے ٠
ہے دم کسی میں اذان لے گا ٠
عدالتیں بھی انہی کی، منصف ٠
گواہ سے جھوٹا بیان لے گا ٠
کوئی سفارش نہ نقل کوئی ٠
اگر خدا امتحان لے گا ٠
ہو غرقِ دریا تو کیا تعجب ٠
فرعون موسیٰ کو مان لے گا ٠
اکٹھے ہوکر لڑے گا "تشنہ" ٠
جو بکھرا انسان ٹھان لے گا ٠
کلام : مسعود بیگ تشنہ
:: ग़ज़ल ::
चुनाव का वो निशान लेगा.
यक़ीन लेगा, गुमान लेगा.
बताएगा वक़्त आने वाला.
कौन अपने हाथों कमान लेगा.
ज़मीन  बख्शे न आसमां ही.
जो ज़ुल्‍म बोएगा, जान लेगा.
शहीद मस्जिद करे या ले ले.
है दम किसी में अज़ान लेगा.
अदालतें भी उन्ही की, मुंसिफ़.
गवाह से झूठा ब्यान लेगा.
कोई सिफारिश न नक़्ल कोई.
अगर ख़ुदा इम्तेहान लेगा.
हो गर्क़ ए दरिया तो क्या  तअज्जुब .
फ़िर्औन मूसा को मान लेगा.
 इकट्ठे होकर लड़ेगा "तिश्ना".
जो बिखरा इंसान ठान लेगा.
कलाम : मसूद बेग तिश्ना
:: Ghazal ::
Chunav ka voh nishaan lega.
Yaqeen lega, gumaan lega.
Bataaega waqt aane wala.
Kaun apne haathoN kamaan lega.
Zameen bakhshe na aasmaaN hi.
Jo Zulm boyega, jaan lega.
AdaalateN bhi unhi ki munsif.
Gawaah se Jhoota byaan lega.
Koi sifaarish na naql koi 
Agar khuda imtehaan lega.
Ho gharq e dariya to kya t'ajjub.
Firaun Musa ko maan lega.
Ikat'the ho kar ladega "Tishna".
Jo bikhra insaan thaan lega.
Kalaam : Masood Baig Tishna




Tuesday, November 27, 2018

Naat Sharif नात शरीफ़ نعت شریف

:: نعت شریف ::
نبوّت کا واضح نشاں ہیں محمّد ٠
کہ حقّانیت کا بیاں ہیں محمّد ٠
چراغ آخری ہائے دینِ حنیفا ٠
براہیم کے دیں کی جاں ہیں محمّد ٠
منائے نہ کیوں عیدِ میلاد دنیا ٠
کلید ظہورِ جہاں ہیں محمّد " ٠ "
غلامانِ احمد کے آقا و مولا ٠
محبّانِ احمد کی جاں ہیں محمّد ٠
کہ سارے نبی چاند تارے ہیں جس کے ٠
نبوّت کا وہ آسماں ہیں محمّد ٠
سمیٹے ہوئے نور سارے جہاں کا ٠
کہی انکہی داستاں ہیں محمّد ٠
اشارے سے جن کے ہوا چاند ٹکڑے ٠
عطائے خدا کا بیاں ہیں محمّد ٠
کرم فرما اور سب جہانوں کی رحمت ٠
وسیلہ شفاعت کا ہاں ہیں محمّد ٠
میں تشنہ طلب "تشنہ" تشنہ طلب ہوں ٠
میں تشنہ طلب ہوں جہاں ہیں محمّد ٠
بر طرح "کلید ظہورِ جہاں ہیں محمد" حسرت موہانی
کلام : مسعود بیگ تشنہ برہانپوری ،اندور انڈیا


Sunday, November 25, 2018

Chunao ki Fasal चुनाव की फ़सल چناؤ کی فصل

:: چناؤ کی فصل ::
چناؤ کی ہوا چلی ہے گرم وایو جل ہے یہ٠
ربیع خریف چھوڑیے تیسری فصل ہے یہ ٠
کوئی ملا رہا ہے وش، کوئی شہد ملا رہا ٠
جمہور ہند کے لئے زندگی کا جل ہے یہ ٠
یہ نفرتیں یہ جھوٹ سب عروج پر چڑھے ہوئے ٠
دکھا دو ان کو راستہ کہ وقتِ بے بدل ہے یہ ٠
 ہریش چندر ہے کوئی نہ دودھ کا دُھلا کوئی ٠
اُگانے اپنا فائدہ چناؤ کی فصل ہے یہ ٠
یہ دل بدل نہیں فقط بہت بڑا حساب ہے ٠
کبھی کبھار کا تھا جو اب عام دل بدل ہے یہ ٠
اتیت میں سب اپنے اپنے کھو گئے بُری طرح ٠
فساد کی یہی ہے جڑ فساد بیتا کل ہے یہ ٠
جسے پَوترا سب سمجھتے آئے تھے ابھی تلک ٠
سَنا ہوا سا گندگی میں کونسا کمل ہے یہ ٠
ترنگا اپنی شان ہے مگر کریں تو کیا کریں ٠
 کہ ایک رنگ چمک رہا ہے اور ایک ڈل ہے یہ ٠
کلام : مسعود بیگ تشنہ
:: चुनाव की फ़सल ::
चुनाव की हवा चली है गर्म वायु जल है ये.
रबी ख़रीफ़ छोड़ये तीसरी फ़सल है ये.
कोई मिला रहा है विष कोई शहद मिला रहा.
जमहूर ए हिन्द के लिए ज़िंदगी का जल है ये.
ये नफ़रतें ये झूठ सब ऊरूज पर चढ़े हुए.
दिखा दो इन को रास्ता कि वक़्त ए बे बदल है ये.
हरीश चन्द्र है कोई न दूध का धुला कोई .
उगाने अपना फ़ाएदा चुनाव की फ़सल है ये.
ये दल बदल नहीं फ़क़त बहुत बड़ा हिसाब है.
कभी कभार का था जो अब आम दल बदल है ये.
अतीत में सब अपने अपने खो गए बुरी तरह.
फ़साद की यही है जड़ फ़साद बीता कल है ये.
जिसे पवित्र सब समझते आए थे अभी तलक.
सना हुआ सा गन्दगी में ये कौन सा कमल है ये.
तिरंगा अपनी शान है मगर करें तो क्या करें.
कि एक रंग चमक रहा है और एक डल (dull) है ये.
कलाम : मसूद बेग तिश्ना
:: Chunao Ki Fasal ::
Chunao ki hawa chali hai, garm wayu jal hai ye.
Rabi kharif chodiye teesri fasal hai ye.
Koi mila raha hai vish koi shahad mila raha.
Jamhoor e Hind ke liye zindagi ka jal hai ye.
Ye nafrateN ye jhoot sab uruj par chad'he hue.
Dikha do sab ko rasta ke waqt e be b'dal hai ye.
Harish Chandra hai koi na dudh ka dhula koi.
Ugaane apna fayeda chunao ki fasal hai ye.
Ye dal b'dal nahiN faqat bahaut bada hisaab hai.
Kabhi kabhaar ka tha jo ab aam dal b'dal hai ye.
Ateet meiN sab apne apne kho gaye buri tarah.
Fasaad ki yehi hai jad Fasaad beeta kal hai ye.
Jise pawitra sab samajhte aaye the abhi talak.
Sana hua sa gandagi meiN kaun sa kamal hai ye.
Tiranga apni shaan hai magar kareN to kya kareN.
Ke ek raNg chamak raha hai aur ek dull hai ye.
Kalaam : Masood Baig Tishna


Monday, November 12, 2018

Chunavi Dohe चुनावी दोहे چُناوی دوہے

:: चुनावी दोहे ::
सीना ताने चढ़ गए छप्पन इंची यार.
कश्ती देख चुनाव की लागे किस की पार.
........
हल्दी चूना झूठ का, लेप सभो तैयार.
जनता क्या इस बार भी है ठगनो तैयार.
.......
सोची समझी बात है, सोचा समझा विचार.
राम लला की आड़ में किस का है उद्धार.
.......
राहुल भी चंदन घिसे, माथा करे शृंगार.
हिंदू तत्व की होड़ में चित मोदी सरकार.
.......
राफ़ेल सौदा पास है या ये फ़ेल सरकार.
कहीं ना जनता तय करे ऐसा अब की बार.
......
अच्छा सच्चा आदमी काहे आगे आए.
गंदी नाली का जना जब नेता कहलाए.
.......
पैसा पानी की तरह जो बेकार बहाए.
वोट छापने जनता का वह ही ज़ोर दिखाए.
.......
टेढ़ी जिस की चाल वह न उल्लू कहलाए.
सीधी जिस की चाल हो वह पप्पू कहलाए.
........
हिटलर शाह और ताना शाह सरकार वही कहलाए.
बैंक, अदालत, सी बी आई पे जो क़ब्ज़ा पाए.
......
जब तक बर्बस देखिये चुनाव नतीजा आए.
जादू भरी मशीन ये चाहे जिसे जिताए.
कलाम : मसूद बेग तिश्ना
नोट : यह चुनावी मनोरंजन है इसे अन्यथा न लें.
:: چناوی دوہے ::
سینہ تانے چڑھ گئے چھپپن انچی یار
کشتی دیکھ چناؤ کی لاگے کس کی پار
......
ہلدی چونا جھوٹ کا ،لیپ سبھو تیار
جنتا کیا اس بار بھی ہے ٹھگنو تیار
........
سوچی سمجھی بات ہے سوچا سمجھا وچار
رام للا کی آڑ میں کس کا ہے اُددھار
.....
راہل بھی چندن گھسے، ماتھا کرے سنگھار
ہندو تتو کی آڑ میں چت مودی سرکار
.........
رافیل سودا پاس ہے یا یہ فیل سرکار
کہیں نہ جنتا طے کرے ایسا اب کی بار
........
اچھا سچا آدمی کاہے آگے آئے
گندی نالی کا جنا جب نیتا کہلائے
........
پیسہ پانی کی طرح جو بیکار بہائے
ووٹ چھاپنے جنتا کا وہ ہی زور دکھائے
...........
ٹیڑھی جس کی چال وہ نہ اُلّو کہلائے
سیدھی جس کی چال ہو وہ پپو کہلائے
........
ہٹلر شاہ اور تانا شاہ سرکار وہی کہلائے
بینک ، عدالت، سی بی آئی پہ جو قبضہ پائے
........
جب تک بربس دیکھیے چناؤ نتیجہ آئے
جادو بھری مشین یہ چاہے جسے جتائے
کلام : مسعود بیگ تشنہ
نوٹ : یہ چُناوی منورنجن ہے. اسے کسی اور طرح نہ لیں.
:: Chunavi Dohe ::
Seena taane chadh gaye chappan inchi yaar.
Kashti dekh chunav ki laage kis ki paar.
......
Haldi choona jhoot ka, lep sabho taiyaar.
Janta kya is baar bhi hai thagno taiyaar.
......
Sochi samjhi baat hai socha samjha vichaar.
Ram Lala ki aad meiN kis ka hai ud'dhaar.
........
Rahul bhi chandan ghise, maatha kare shringhar.
Hindu tatva ki hod meiN chit Modi sarkar.
.........
Rafael sauda pass hai ya ye fail sarkar.
KahiN na janta tai kare aisa ab ki baar.
.......
Achchha sachcha aadmi kaahe na aage aaye.
Gandi naali ka jana jab neta kahlaaye.
...........
 Paisa pani ki tarah jo bekaar bahaaye.
Vote chhapne janta ka wo hi zor lagaaye.
.......
Ted'hi jis ki chaal wo na ullu kahlaaye.
Seedhi jis ki chaal wo hi Pappu kahlaaye.
........
 Hitler Shah aur Tana Shah sarkar wohi kahlaaye.
Bank, adalat, CBI par jo qabza paaye.
.........
Jab tak barbas dekhiye chunav natija aaye.
Jadoo bhari machine ye chaahe jise jitaaye.
Kalaam : Masood Baig Tishna
Note : Ye chunavi manoranjan hai ise kisi aur tarha na leN.




Friday, November 9, 2018

Shaitani Manzar शैतानी मंज़र شیطانی منظر

:: شیطانی منظر ::
دیکھنا یہ شیطانی منظر بدلینگے.
اک دن یہ بھی ٹانگ اٹھا کر چل دینگے.
شہر کا نام بدلنے سے بد دل ہوکر.
 لوگ دکھائینگے شیطانوں کو ٹھینگے.
کلام : مسعود بیگ تشنہ
:: शैतानी मंज़र ::
देखना ये शैतानी मंज़र बदलेंगे.
एक दिन ये भी टाँग उठा कर चल देंगे.
शह्र का नाम बदलने से बद दिल हो कर.
लोग दिखाएंगे शैतानों को ठेंगे.
कलाम : मसूद बेग तिश्ना
:: Shaitani Manzar ::
Dekhna ye shaitani manzar badleNge.
Ek din ye bhi taaNg utha kar chaldeNge.
Shehr ka naam badalne se bad dil ho kar.
Log dikhayeNge shaitanoN ko theNge.
Kalaam : Masood Baig Tishna 

Thursday, November 8, 2018

Note Bandi नोट बंदी نوٹ بندی

:: نوٹ بندی ::
 نوٹ بندی کی چوٹ ہے بھاری.
زخم اب بھی ہرا ہے سرکاری.
دھندے چوپٹ تو روزگار نہیں.
دو برس کی ہوئی یہ بیماری.
کلام : مسعود بیگ تشنہ
:: नोट बंदी ::
नोट बंदी की चोट है भारी.
ज़ख़्म अब भी हरा है सरकारी.
धंधे चौपट तो रोज़गार नहीं.
दो बरस की हुई ये बीमारी.
कलाम : मसूद बेग तिश्ना
:: Note Bandi ::
Note bandi ki chot hai bhaari.
Zakhm ab bhi hara hai sarkari.
Dhande chaupat to rozgar nahiN.
Do baras ki hui ye bimaari.
Kalaam : Masood Baig Tishna

Wednesday, November 7, 2018

Ghotala Sarkar घोटाला सरकार گھوٹالہ سرکار

:: گھوٹالہ سرکار ::
چوروں کی سرکار، گھٹالوں کی سرکار.
جھوٹوں کی سرکار ،حوالوں کی سرکار.
جانے بھی دو ایسے چوکیداروں کو.
آنے دو اچھّے رکھوالوں کی سرکار.
کلام :مسعود بیگ تشنہ
:: घोटाला सरकार ::
चोरों की सरकार, घोटालों की सरकार.
झूटों की सरकार, हवालों की सरकार.
जाने भी दो ऐसे चौकीदारों को.
आने दो अच्छे रखवालों की सरकार.
कलाम : मसूद बेग तिश्ना
:: Ghotala Sarkar ::
ChoroN ki sarkar, ghotaloN ki sarkar.
JhootoN ki sarkar, hawaloN ki sarkar.
Jaane bhi do aise chaukidaroN ko.
Aane do achhe rakhwaloN ki sarkar.
Kalaam : Masood Baig Tishna 

RBI आर बी आई آر بی آئی

:: آر بی آئی ::
آر بی آئی کو ڈھنے کی تیاری اب.
آر بی آئی پہ سرکاری بمباری اب.
آر ایس ایس کی سوچ سے کب تک چلتا ہے.
دیکھینگے کیا دیش کی ہے دم داری اب.
کلام : مسعود بیگ تشنہ
:: आर बी आई ::
आर बी आई को ढहने की तैयारी अब.
आर बी आई पे सरकारी बमबारी अब.
आर एस एस की सोच से कब तक चलता है.
देखेंगे क्या देश की है दमदारी अब.
कलाम : मसूद बेग तिश्ना
:: RBI ::
RBI ko dhahne ki tayyari ab.
RBI pe sarkari bambari ab.
RSS ki soch se kab tak chalta hai.
DekheNge kya desh ki hai damdari ab.
Kalaam : Masood Baig Tishna

OCHHE LOG ओछे लोग اوچھے لوگ

:: اوچھے لوگ ::
جس کی جیسی سوچ ہے ویسا اسکا کام.
 جسکا جیسا ظرف ہے ویسا اسکا نام.
اونچا آسن بیٹھ گئے "تشنہ" اوچھے لوگ.
 باطن جگ ظاہر ہوا چہرہ طشت از بام.
کلام : مسعود بیگ تشنہ
:: ओछे लोग ::
जिसकी जैसी सोच है वैसा उसका काम.
जिसका जैसा ज़र्फ़ है वैसा उसका नाम.
ऊंचा आसन बैठ गए "तिश्ना" ओछे लोग.
बातिन जग ज़ाहिर हुआ चेहरा 'तश्त अज़ बाम '.
कलाम : मसूद बेग तिश्ना
:: Ochhe Log ::
Jiski jaisi soch hai waisa uska kaam.
Jiska jaisa zarf hai uska waisa naam.
OoNcha aasan baith gaye "Tishna" Ochhe log.
Baatin jag zaahir hua, chehra 'tasht az baam'.
Kalaam : Masood Baig Tishna




Friday, November 2, 2018

Jhoote Qisse झूटे क़िस्से جھوٹے قصصے

 :: جھوٹے قصصے ::
رنگتے ہیں تاریخ کے پننے کچ کچ کر.
نام بدلتے جھوٹے قصصے رچ رچ کر .
ذکرِ حقوقِ انسانی چھوڑو تشنہ.
کرتے ذکرِ اقلیتی بچ بچ کر.
کلام : مسعود بیگ تشنہ
:: झूटे क़िस्से ::
रंगते हैं तारीख़ के पन्ने कच कच कर.
नाम बदलते झूटे क़िस्से रच रच कर.
ज़िक्र ए हुक़ुक़े इंसानी छोड़ो तिश्ना.
करते ज़िक्र ए अक़्लियती बच बच कर.
कलाम : मसूद बेग तिश्ना
:: Jhoote qisse ::
RaNgte haiN tareekh ke panne kach kach kar.
Naam badalte jhoote qisse rach rach kar.
Zikr e huquq e insani chhodo "Tishna ".
Karte zikr e aqliyati bach bach kar.
Kalaam : Masood Baig Tishna 

Thursday, November 1, 2018

Statue of Unity Ekta Ka But एकता का बुत ایکتا کا بت

 :: ایکتا کا بت ::
مرد آہن کا بنایا آہنی بت، سو گئے.
اس گگن چمبی بت آہن میں چھپ کر کھو گئے.
ٹکڑے ٹکڑے ملک کو جس نے ملایا ہند میں.
ایکتا کے بت پہ اس کے نفرتوں کو بو گئے.
کلام : مسعود بیگ
:: एकता का बुत ::
मर्द ए आहन का बनाया आहनी बुत, सो गए.
इस गगन चुंबी बुत ए काहन में छुप कर खो गए.
टुकड़े टुकड़े मुल्क को जिसने मिलाया हिन्द में.
एकता के बुत पे उसके नफ़रतों को बो गए.
कलाम : मसूद बेग तिश्ना
:: Statue of Unity Ekta Ka But ::
Mard e aahan ka banaya aahani but, so gaye.
Is gagan chumbi but e aahan meiN chhup kar kho gaye.
Tukde tukde mulk ko jisne milaya hind meiN.
Ekta ke but pe uske nafratoN ko bo gaye.
Kalaam : Masood Baig Tishna 

Wednesday, October 31, 2018

SHAITANI TOLE शैतानी टोले شیطانی ٹولے

:: شیطانی ٹولے ::
. شیطانی ٹولوں کے سنگ مت چلے چلو
. جھوٹے بڑبولوں کے سنگ مت چلے چلو
. "پھٹتے ہی دہشت پھیلاتے ہیں "تشنہ
. نفرت کے گولوں کے سنگ مت چلے چلو
کلام : مسعود بیگ تشنہ
:: शैतानी टोले ::
शैतानी टोलों के संग मत चले चलो.
झूटे बड़बोलों के संग मत चले चलो.
फटते ही दहशत फैलाते हैं "तिश्ना".
नफ़रत के गोलों के संग मत चले चलो.
कलाम : मसूद बेग तिश्ना
:: Shaitani tole ::
Shaitani toloN ke saNg mat chale chalo.
Jhoote badboloN ke saNg mat chale chalo.
Phat'te hi dehshat phailate haiN "Tishna".
Nafrat ke goloN ke saNg mat chale chalo.

Sunday, October 28, 2018

JhootoN ki sarkar झूटों की सरकार جھوٹوں کی سرکار

 :: جھوٹوں کی سرکار ::
. جھوٹوں کی سرکار میں بیٹھے جھوٹے لوگ
. ظلم و ستم کی مار سے بے دم ٹوٹے لوگ
. نفرت کی بھٹٹی کا ایندھن ہیں تشنہ
. یہ مرجھائے مرجھائے سے گل بوٹے لوگ
کلام : مسعود بیگ تشنہ
:: झूटों की सरकार ::
 झूटों की सरकार में बैठे झूटे लोग.
ज़ुल्‍म ओ सितम की मार से बे दम टूटे लोग.
नफ़रत की भट्टी का ईंधन हैं "तिश्ना".
ये मुरझाए मुरझाए से गुल बूटे लोग.
कलाम : मसूद बेग "तिश्ना"
:: JhootoN ki sarkar ::
JhootoN ki sarkar meiN baithe jhoote log.
Zulm o sitam ki maar se be dam toote log.
Nafrat ki bhatti ka iNdhan haiN "Tishna".
Ye murjhaye murjhaye se gul boote log.
Kalaam : Masood Baig Tishna 

Wednesday, October 24, 2018

CBI सी बी आई سی بی آئی

:: سی بی آئی ::
. اب اتنا بوطا بھی نہیں کہ سچ کھوجے
. سچ کو جھوٹ بتلانے سے خود کو روکے
. سرکاری پنجوں سے تنگ آکر تشنہ
. سرکاری طوطے نے اپنے پر نوچے
کلام : مسعود بیگ تشنہ
:: सी बी आई ::
अब इतना बूता भी नहीं कि सच खोजे.
सच को झूठ बतलाने से ख़ुद को रोके.
सरकारी पंजों से तंग आकर "तिश्ना".
सरकारी तोते ने अपने पर नोचे.
कलाम : मसूद बेग तिश्ना
:: CBI ::
Ab itna boota bhi nahiN ke sach khoje.
Sach ko jhoot batlaane se khud ko roke.
Sarkari panjoN se taNg aakar "Tishna".
Sarkari tote ne apne par noche.
Kalaam : Masood Baig Tishna

Thursday, September 6, 2018

Aadat e qaum e Lut عادت قوم لوط आदत ए क़ौम ए लूत

:: عادت قوم لوط ::
   . زد میں تہذیب اختلاط ہے آج
 .غیر فطری عمل کی ہے ترغیب
."عادت قوم لوط بھی "تشنہ
. قوم کا بنتی جا رہی ہے نصیب
کلام : مسعود بیگ تشنہ
:: आदत ए क़ौम ए लूत ::
ज़द में तेहज़ीब ए इख्तिलात है आज.
ग़ैर फ़ित्री अमल की है तर्ग़ीब.
आदत ए क़ौम ए लूत भी " तिश्ना ".
क़ौम का बनती जा रही है नसीब.
कलाम : मसूद बेग तिश्ना
:: Aadat e qaum e Lut ::
Zad meiN tehzeeb e ikhtelaat hai aaj.
Ghair fitri amal ki hai targheeb.
Aadat e qaum Lut bhi "Tishna".
Qaum ka banti ja rahi hai naseeb.
Kalaam : Masood Baig Tishna

Wednesday, September 5, 2018

USTAD استاد उस्ताद

:: استاد ::
. استاد بلند کرتا ہے شاگرد کے آفاق
. شاگرد کرے یاد جو استاد کے اسباق
. گم گشتہ خزانوں سے اُٹھاتے ہیں وہی فیض
. روحانی تعلق کے پلٹتے ہیں جو اوراق
کلام : مسعود بیگ تشنہ
:: उस्ताद ::
उस्ताद बुलंद करता है शागिर्द के आफ़ाक़.
शागिर्द करे याद जो उस्ताद के अस्बाक़.
गुम गश्ता  ख़ज़ानों से उठाते हैं वही फ़ैज़.
रूहानी ताल्लुक़ के पलटते हैं जो औराक़.
कलाम : मसूद बेग तिश्ना
:: Ustad ::
Ustad buland karta hai shagird ke aafaaq.
Shagird kare yaad jo ustad ke asbaaq.
Gumgashta khazanoN se uthaa'te haiN wohi faiz .
Roohani t'alluq ke palat'te haiN jo auraaq .
Kalaam : Masood Baig Tishna


Thursday, August 30, 2018

NAAT SHARIF نعت شریف



انور مسعود کی اس طرح (کوئی دیوار گریہ ہے تیرے اشعار کے پیچھے) میں اتفاقاً نعتیہ کلام ہوگیا... مسعود بیگ تشنہ ## #
:: نعت شریف ::
. نکلتی جاں مدینے کی گلی ، بازار کے پیچھے.
. میری جاں لاکھ قرباں ہے میرے دلدار کے پیچھے.
.عجب جلوہ رسولِ مصطفیٰ ہے سب جہانوں میں.
. اجالے منھ چھپائیں آپ کے انوار کے پیچھے
. نبی کے عشق میں دیوانہ میں دن رات رہتا ہوں.
. محبت موجزن رہتی ہے ان اشعار کے پیچھے .
. ہو گستاخوں پہ لعنت آپکے ہر اک زمانے میں.
. پڑے رہتے ہیں جو کہ آپ کی سرکار کے پیچھے.
. رہے دنیا سے بھی محروم ، نہ کچھ دین ہی سمجھا.
. گزاری زندگی ہم نے غلط اطوار کے پیچھے.
. مصوَّر آپ کی سیرت میں صورت آپ کی گویا.
. مصوَّر ذاتِ نوری سیرت و کردار کے پیچھے.
. ہوا کون آپ سا پیدا جہاں میں آج تک  تشنہ .
. برستی رحمتیں ہیں آپ کے انوار کے پیچھے.
. نہ چھوڑا مسلکِ پیغمبری ، اعلانِ حق ہرگز.
. نہ چھوڑیں کوششیں حق کی ہزار آزار کے پیچھے.
. ہوئے تھے دشمنِ جاں اور انکاری جو تھے کل تک.
. ہوئے سب سرنگوں "تشنہ" چلے اقرار کے پیچھے.
. ہیں تشنہ نعت سے نکلے محبت میں بجھے آنسو.
 'کوئی دیوار گریہ ہے تیرے اشعار کے پیچھے'.(مصرع طرح : انور مسعود).
کلام : مسعود بیگ تشنہ











Thursday, August 23, 2018

GHAZAL غزل ग़ज़ल

:: غزل ::
. فضاء میں ہے انتشار زیادہ
. ہے نفرتوں کا غبار زیادہ
. نئے زمانے کی ہے سیاست
. بھروسہ کم اور قرار زیادہ
. ہیں ہجرتوں کے عذاب موسم
. خزاں رسیدہ بہار زیادہ
. محبتوں پر ہزار فتنے
. عداوتوں پر دلار زیادہ
.  زباں جو کھولیں ، زبان کھینچیں
. جو چپ رہیں گے تو خوار زیادہ
. ہے ہجر میں انتظار کچھ کم
. کرو ابھی انتظار زیادہ
. نظر نہ لگ جائے.کیا بھروسہ
. نہ ہو ملن آشکار زیادہ
. "پرندے بے سدھ پڑے ہیں "تشنہ
 . ہے ٹھونٹھ منظر غبار زیادہ
کلام : مسعود بیگ تشنہ
:: ग़ज़ल ::
फिज़ा में है इन्तेशार ज़्यादा.
है नफ़रतों का गुबार ज़्यादा.
नए ज़माने की है सियासत.
भरोसा कम और क़रार ज़्यादा.
हैं हिज्रतों के अज़ाब मौसम.
खिज़ान् रसीदा बहार ज़्यादा.
मोहब्बतों पर हज़ार फित्ने.
अदावतों पर दुलार ज़्यादा.
ज़बां जो खोलें, ज़बान खींचें.
जो चुप रहेंगे तो ख़्वार ज़्यादा.
है हिज्र में इन्तेज़ार कुछ कम.
करो अभी इन्तेज़ार ज़्यादा.
नज़र ना लग जाए क्या भरोसा.
ना हो मिलन आश्कार ज़्यादा.
परिंदे बे सुध पड़े हैं " तिश्ना ".
है ठूंठ मंज़र गुबार ज़्यादा .
कलाम : मसूद बेग तिश्ना
:: Ghazal ::
Fiza meiN hai inteshaar ziyada.
Hai nafratoN ka ghubaar ziyada.
Naye zamaane ki hai siyasat.
Bharosa kum aur qaraar ziyada.
HaiN hijratoN ke azaab mausam.
KhizaaN rasida bahaar ziyada.
ZabaaN jo kholeN, zabaan kheeNcheN.
Jo chup raheNge to khwaar ziyada.
Hai hijr meiN intezaar kuchh kum.
Karo abhi intezaar ziyada.
Nazar na lag jaye kya bharosa.
Na ho milan aashkaar ziyada.
Parinde besudh pade haiN " Tishna ".
Hai thooth manzar ghubaar ziyada.
Kalaam : Masood Baig Tishna


















Saturday, August 18, 2018

Nazr e Hind o Pak नज़्र ए हिन्द ओ पाक نذر ہند و پاک


:: نذر ہند و پاک ::
. کب کروٹ بدلے گی سیاست . اللہ جانے
. دونوں اور پرانی نفرت. اللہ جانے
. پائوں جلے ہیں نفرت کے انگاروں پر
. کیسی چلے گی آج قیادت. اللہ جانے
. دل کی سرحد ملک کی سرحد ایسی کیوں
. روز محبت روز عداوت. اللہ جانے
. کیسے یہ ہمسائے کیسے بھائی ہیں
. بٹوارے میں لے لی نفرت. اللہ جانے
. کوئی پیمبر لوٹانے کب آئے گا
. ہند و پاک کی کھوئی عظمت. اللہ جانے
. ہند و پاک سے برسوں کی پالی پوسی
. کب جائے گی "تشنہ"  عداوت . اللہ جانے
کلام : مسعود بیگ تشنہ
:: नज़्र ए हिन्द ओ पाक ::
कब करवट बदलेगी सियासत. अल्लाह जाने.
दोनों ओर पुरानी नफ़रत. अल्लाह जाने.
पाओं जले हैं नफ़रत के अंगारों पर.
कैसी चलेगी आज क़ियादत. अल्लाह जाने.
दिल की सरहद मुल्क की सरहद ऐसी क्यों .
रोज़ मोहब्बत रोज़ अदावत. अल्लाह जाने.
कैसे ये हमसाए कैसे भाई हैं.
बंटवारे में ले ली नफ़रत. अल्लाह जाने.
कोई पयंबर लौटाने कब आएगा.
हिन्द ओ पाक की खोई अज़मत. अल्लाह जाने.
हिन्द ओ पाक से बरसों की पाली पोसी.
कब जाएगी "तिश्ना" अदावत . अल्लाह जाने.
कलाम : मसूद  बेग तिश्ना
:: Nazr e Hind o Pak ::
Kab karwat badlegi siyasat. Allah jane.
DonoN or purani nafrat. Allah jane.
PaoN jale haiN nafrat ke aNgaroN par.
Kaisi chalegi aaj qiyadat. Allah jane.
Dil ki sarhad mulk ki sarhad aisi kyoN.
Roz mohabbat roz adawat. Allah jane.
Kaise ye hamsaye kaise bhai haiN.
BaNtware meiN le li nafrat. Allah jane.
Koi payamber lautane kab aayega.
Hind o Pak ki khoi azmat. Allah jane.
Hind o Pak se barsoN ki pali posi.
Kab jayegi " Tishna "adawat. Allah jane.
Kalaam : Masood Baig Tishna






Thursday, August 16, 2018

AAH ATAL Ji आह अटल जी آہ اٹل جی





:: آہ. اٹل جی ::
. نہرو یگ کا آج جیسے اک ستارہ بجھ گیا
. خود اٹل جی کے بنائے یگ کا تارہ بجھ گیا
. اپنے یگ کا وہ ہی تارہ، وہ ہی اپنا آسماں
. راج دھرم کی یاد دلوانے میں مرد نوجواں
. تھا انہیں بلراج مدہوک سے نہیں کچھ اتفاق
. تھا انہیں پی این کوک سے نہیں کچھ اتفاق
. رام مندر یاترا کا تھا کیا اندر ورودھ
. اس کے دش پرینام کا ان کو تھا اندر ہی سے بودھ
. بابری مسجد گرائے جانے کو مانا خراب
. آستھا اپنی الگ رکھ کر کیا یہ انتخاب
. سنگھ کے ہوتے ہوئے سنگھی سیاست سے الگ
. نفرت و آتنک کی خونی سیاست سے الگ
. بھگوا آتنک ان کے ماتھے کا نہیں بن پایا داغ
. جو چلا گجرات سے اب ہو گیا بھارت کا داغ
. اندرا گاندھی یگ کا وہ پوکرن دھماکہ ان کی یاد
. سمجھوتہ ایکسپریس ، پاکستانی یاترا انکی یاد
. راج بھاشا ہندی کا سممان اونچا کر دیا
. یو. این. او لے جانے سے یہ مان اونچا کردیا
. نرم پنتھی اور کوی،  بے لاگ وکتا آپ تھے
. شاعری، سیاست ، صحافت میں یکتا آپ تھے
. الپ مت ہونے پہ بھی پایا اپوزیشن کا ساتھ
. پارٹی ہت سے اٹھے اوپر کیا نہ پکش پات
. سب کو لے کر ساتھ چلنے کی سیاست ان سے تھی
. صاف دل والی سیاست کی نفاست ان سے تھی
. اے سپوت ہند تجھ کو سارے بھارت کا سلام
.  اے سپوت ہند جیسے اے پی جے عبد الکلام
خراجِ عقیدت   : مسعود بیگ تشنہ

:: आह. अटल जी ::
नेहरू युग का आज जैसे इक सितारा बुझ गया.
ख़ुद अटल जी के बनाए युग का तारा बुझ गया.
अपने युग का वो ही तारा, वो ही अपना आसमां.
राज धर्म की याद दिलवाने में मर्दे नवजवां.
था उन्हें बलराज मदहोक से नहीं कुछ इत्तेफ़ाक़.
था उन्हें पी ऐन ओक से नहीं कुछ इत्तेफ़ाक़.
राम मंदिर यात्रा का था किया अंदर विरोध.
उस के दुष्परिणाम का उन को था अंदर ही से बोध.
बाबरी मस्जिद गिराए जाने को माना ख़राब .
आस्था अपनी अलग रख कर किया ये इन्तेख़ाब .
संघ के होते हुए संघी सियासत से अलग.
नफरत ओ आतंक की ख़ूनी सियासत से अलग.
भगवा आतंक उनके माथे का नहीं बन पाया दाग.
जो चला गुजरात से अब हो गया भारत का दाग.
इंदिरा गांधी युग का वो पोकरण धमाका उनकी याद.
समझौता एक्सप्रेस, पाकिस्तानी यात्रा उनकी याद.
राज भाषा हिन्दी का सम्मान ऊंचा कर दिया.
यू. एन. ओ. ले जाने से ये मान ऊंचा कर दिया.
नर्म पंथी और कवि, बेलाग वक्ता आप थे.
शाइरी, सियासत , सहाफ़त में यक्ता आप थे.
अल्प मत होने पे भी पाया अपोज़ीशन का साथ.
पार्टी हित से उठे ऊपर, किया ना पक्ष पात.
सब को ले कर साथ चलने की सियासत उन से थी.
साफ़ दिल वाली सियासत की नफ़ासत उन से थी.
ऐ सपूत ए हिन्द तुझ को सारे भारत का सलाम.
ऐ सपूत ए हिन्द जैसे ए पी जे अब्दुल कलाम.
ख़िराज ए अक़ीदत : मसूद बेग तिश्ना













Tuesday, August 14, 2018

Jashn e Azadi Mubarak جشنِ آزادی مبارک जश्न ए आज़ादी मुबारक



:: جشنِ آزادی مبارک ::
. چھوڑ چلیں بڑبولے پن کو یاد کریں قربانی ہم.
. آزادی کی قدر کریں ہم اور قدر انسانی ہم .
. ہم ہندی ہیں فخر ہے ہم کو گنگا جمنی قدروں پر.
. سب کا ساتھ وکاس ہو سب کا چھوڑ چلیں شیطانی ہم.
................................................
. ہم ہندی ہیں گنگا جمنی ہندوستان ہمارا ہے.
. آزادی ہے جان سے پیاری ہندوستان یہ پیارا ہے.
. مل جل کر رہنا ہی ہماری گنگا جمنی ہے تہذیب.
. ہند کی امرت دھارا اپنی گنگا جمنی دھارا ہے.
کلام : مسعود بیگ تشنہ

:: जश्न ए आज़ादी मुबारक ::
छोड़ चलें बड़बोलेपन को याद करें कुर्बानी हम.
आज़ादी की क़दर्  करें हम और क़दरे इंसानी हम.
हम हिन्दी हैं फख्र है हम को गंगा जमुनी क़द्रों पर .
सब का साथ विकास हो सब का छोड़ चलें शैतानी हम.
......................
हम हिन्दी हैं गंगा जमनी हिंदुस्तान हमारा है.
आज़ादी है जान से प्यारी हिंदुस्तान ये प्यारा है.
मिल जुल कर रहना ही हमारी गंगा जमुनी है तेहज़ीब.
हिन्द की अमृत धारा अपनी गंगा जमुनी धारा है
कलाम : मसूद बेग तिश्ना

:: Jashn e Azadi Mubarak ::
Chhod chaleN badbolepan ko yaad kareN qurbani ham.
Azadi ki qadr kareN ham aur qadr e insani ham.
Ham hindi haiN fakhr hai ham ko ganga jamuni qadroN par.
Sab ka saath vikas ho sab ka chhod chaleN shaitani ham.
.................................
Ham hindi haiN ganga jamuni hindustan hamara hai.
Azadi hai jaan se pyari hindustan ye pyara hai.
Miljul kar rehna hi hamari ganga jamuni hai tehzeeb.
Hindi ki amrit dhara apni ganga jamuni dhara hai.
Kalaam : Masood Baig Tishna






Sunday, August 12, 2018

JASHN E AZADI 2018 جشنِ آزادی 2018 जश्न ए आज़ादी 2018


:: جشنِ آزادی 2018 ::
. جشنِ آزادی پہ بیتے سال جو میں نے کہا.
. پھر اسے دہرا کے کہ دوں تو نہیں ہے کچھ برا.
. ہے وہی ماحول نفرت کا گھٹن کا دم بہ دم.
. مرتے کٹتے جلتے لوگوں کے کفن کا دم بہ دم .
. ہاں اضافہ اور ہنسک بھیڑ کا اب ہو چلا.
. حاکموں پر اب بھروسہ دھیرے دھیرے کھو چلا.
. عصمتیں محفوظ کب ہیں نوکری اب ہے کہاں.
. اچھے دن کا ہے یہی سپنا یہی ہندوستاں.
. خودکشی کرنے پہ ہیں مجبور ان داتا کسان.
. نوجوانوں کی ہر اک منزل پڑی ہے بے نشان.
. اتنی مہنگائی کہ یہ جینا بھی مشکل ہو گیا.
. نوٹ بندی سے پھٹا سینا بھی مشکل ہو گیا.
. دھندے چوپٹ ہو گئے روزگار بھی جاتا رہا.
. ایک کے بعد ایک آفت کا سمے آتا رہا.
. اب دلت اور یہ مسلماں ہو گئے ہیں اک سمان.
. ان کو دہشت میں رکھا آفت میں کردی ان کی جان.
. ناری رکشا نام پر ہے چھیڑ اب اسلام سے.
. ان کی نیت دکھ رہی ہے ان کے کالے کام سے.
. یہ بناتے جن کو ماتا ان سے کرتے ہیں دغا.
. مارکاٹ ان کا ہے شیوہ اور نفرت سے وفا.
. روپیہ کر کمزور دالر کے مزے لینے لگے .
. اور پھٹی جنتا کی کالر کے مزے لینے لگے.
. اب ودیشی چندہ چلتا رہے بے روک ٹوک.
. کالے دھن کا دھندہ بھی چلتا ربے روک ٹوک.
. یہ عجب ہیں حکمراں شاہی ہیں ان کے ٹھاٹ باٹ.
. فوجی سودوں میں یہ کرتے ہیں کھڑی اپنی ہی کھاٹ.
. ان کے شاسن میں گھوٹالے انتہا پر آگئے.
. دیش کو لگتا ہے "تشنہ" بیچ کر ہی کھا گئے.
. جشنِ آزادی منائیں گے بہت ہی دھوم سے.
. اپنا رُتبہ یہ دکھائیں گے بہت ہی دھوم سے.
. ان سے آزادی کا موسم جلد ہی اب آئے گا.
. دیکھتے ہیں انتخاب عام اب جب آئے گا.
. جشنِ آزادی منائیں آج پھر ہم دھوم سے.
.   ہند نیا پیارا بنائیں آج پھر ہم دھوم سے.
کلام : مسعود بیگ تشنہ
:: जश्न ए आज़ादी 2018 ::
जश्न ए आज़ादी पे बीते साल जो मैं ने कहा.
फिर उसे दोहरा के कह दूं तो नहीं है कुछ बुरा.
है वही माहौल नफ़रत का घुटन का दम बा दम.
मरते कटते जलते लोगों के कफ़न का दम बा दम.
हां इज़ाफ़ा और हिंसक भीड़ का अब हो चला.
हाकिमों पर भरोसा धीरे धीरे खो चला.
अस्मतें महफूज़ कब हैं नौकरी है अब कहाँ.
अच्छे दिन का है यही सपना यही हिन्दोस्तां.
ख़ुद कुशी करने पे हैं मजबूर अन्न दाता किसान.
नौजवानों की हर एक मंज़िल पड़ी है बे निशान.
इतनी महंगाई कि ये जीना भी मुश्किल हो गया.
नोट बन्दी से फटा सीना भी मुश्किल हो गया.
धंधे चौपट हो गए रोज़गार भी जाता रहा.
एक के बाद एक आफ़त मर का समय आता रहा.
अब दलित और ये मुसलमां हो गए हैं एक समान.
इन को दहशत में रखा आफ़त में कर दी इन की जान.
नारी रक्षा नाम पर है छेड़ अब  इस्लाम से .
उनकी नीयत दिख रही है उनके काले काम से .
ये बनाते जिन को माता उन से करते हैं दगा.
मार काट इन का है शेवा और नफरत से वफ़ा.
रुपया कर कमज़ोर डॉलर के मज़े लेने लगे.
और फटी जनता के कालर के मज़े लेने लगे.
अब विदेशी चंदा भी चलता रहे बे रोक टोक.
काले धन का धंधा भी चलता रहे बे रोक टोक.
ये अजब हैं हुक्मरां शाही हैं इन के ठाठ बाट.
फौजी सौदों में ये करते हैं खड़ी अपनी ही खाट.
इन के शासन में घोटाले इन्तेहा पर आ गए.
देश को लगता है " तिश्ना " बेच कर ही खा गए.
जश्न ए आज़ादी मनाएंगे बहुत ही धूम से.
अपना रुतबा ये दिखाएंगे बहुत ही धूम से.
इन से आज़ादी का मौसम जल्द ही अब आएगा.
देखते हैं इन्तेखाब ए आम अब जब आएगा.
जश्न ए आज़ादी मनाएं आज फिर हम धूम से.
हिंद नया प्यारा बनाएं आज फिर हम धूम से.
कलाम : मसूद बेग तिश्ना
:: Jashn e Azadi 2018 ::
Jashn e azadi pe beete saal jo maiN ne kaha.
Phir usey dohra ke keh duN to nahiN hai kuchh bura.
Hai wohi mahaul nafrat ka ghutan ka dam ba dam.
Marte kat'te jalte logoN ke kafan ka dam ba dam.
HaaN izafa aur hinsak bheed ka ab ho chala.
HaakimoN par ab bharosa dheere dheere kho chala.
IsmateiN mehfuz kab haiN naukari hai ab kahaaN.
Achchhe din ka hai  yehi sapna yehi hindostaN.
Khudkushi karne pe haiN majboor ann daata kisaan.
NaujawanoN ki har ek manzil padi hai be nishaan.
Itni mehNgaai ke ye jeena bhi mushkil ho gaya.
Note bandi se phata seena bhi mushkil ho gaya.
Dhande chaupat ho gaye rozgar bhi jata raha.
Ek ke baad ke aafat ka samay aata raha.
Ab dalit aur ye musalmaaN ho gaye haiN ik samaan.
In ko dehshat meiN rakha aafat meiN kardi in ki jaan.
Naari raksha naam par hai chhed ab islam se.
In ki niyat dikh rahi hai inke kale kaam se.
Ye banate jin ko mata unse karte haiN dagha.
Maar kaat hai inka shewa aur nafrat se wafa.
Rupiah kar kamzor dollar ke maze lene lage.
Aur phati janta ki collar ke maze lene lage.
Ab videshi chanda bhi chalta rahe be rok tok.
Kale dhan ka dhanda bhi chalta rahe be rok tok.
Ye ajab haiN hukmraaN shahi haiN inke thaath baat.
Fauji saudoN meiN ye karte haiN khadi apni hi khaat.
Inke shaasan meiN ghotale inteha par aa gaye.
Desh ko lagta hai "Tishna" bech kar hi kha gaye.
Jashn e azadi manayeNge bahut hi dhoom se.
Apna rutba ye dikhayeNge bahut hi dhoom se.
In se azadi ka mausam jald hi ab aayega.
Dekhte haiN intekhab e aam ab jab aayega.
Jashn e azadi manayeiN aaj phir hum dhoom se.
Hind naya pyara banayeiN aaj phir hum dhoom se.
Kalaam : Masood Baig Tishna

































Wednesday, August 8, 2018

Hurriyat PasandoN Ke Naam حریت پسندوں کے نام

:: حریت پسندوں کے نام ::
( کشمیر سیریز-3)
بہت بجا حریت کا باجا
کاشیریت ، قومیت کا باجا
یہ خون بےجا نہ یوں بہائو
پڑوسی نیت کو بھانپ جائو
شہید بن کے نہ جاں گنوائو
جمہوری طاقت سے جیت پائو
ابھی تلک کیا ہے تم نے پایا
نہیں نہیں بس ہے سب گنوایا
ہزاروں جانیں گنوا کے اب تک
نہ پایا کچھ بھی بلا سے اب تک
اس انتقامی جنوں کو تج کر
جہاں کے علم و ہنر سے سج کر
بنائو جنت نظیر وادی
جو بن گئی ہے حقیر وادی
کلام :: مسعود بیگ تشنہ

:: हुर्रियत पसंदों के नाम ::
(कश्मी सीरीज़ - 3)
बहुत बजा हुर्रियत का बाजा
काशीरीयत, क़ौमियत का बाजा
ये ख़ूने बेजा ना यूं बहाओ
पड़ौसी नीयत को भांप जाओ
शहीद बन के ना जां गँवाओ
जमहूरी ताक़त से जीत पाओ
अभी तलक क्या है तुम ने पाया
नहीं नहीं बस है सब गंवाया
हज़ारों जानें गंवा के अब तक
ना पाया कुछ भी बला से अब तक
इस इन्तेक़ामी जुनूं को तज कर
जहाँ के इल्म ओ हुनर से सज कर
बनाओ जन्नत नज़ीर वादी
जो बन गई है हक़ीर वादी
कलाम :: मसूद बेग तिश्ना

:: Hurriyat pasandoN ke naam ::
(Kashmir Series - 3)
Bahaut baja hurriyat ka baja
Kashiriyat, qaumiyat ka baja
Ye khoon e beja na yooN bahao
Padosi niyat ko bhaaNp jao
Shahid ban ke na jaaN gaNwao
Jamhoori taaqat se jeet pao
Abhi talak kya hai tum ne paya
NahiN nahiN bas hai sab gaNwaya
HazaroN jaaneN gaNwa ke ab tak
Na paya kuchh bhi bala se ab tak
Is inteqami junooN ko taj kar
JahaN ke ilm o hunar se saj kar
Banao jannat nazir wadi
Jo ban gaee hai haqir wadi
Kalaam :: Masood Baig Tishna


Tuesday, August 7, 2018

Kashmiri patthar bazoN ke naam کشمیری پتتھر بازوں کے نام


   :: کشمیری پتتھر بازوں کے نام ::
. اٹھو اہنسا کا ساتھ پکڑو
. اٹھو ہاتھ سے ہاتھ پکڑو
.  یہ کیوں ہتاشا کے ہاتھ اٹھٹھے
. جو سنگ ہنسا کے ساتھ اٹھٹھے
. اٹھا کے مٹھٹھی میں  سخت پتتھر
. مقابلہ فوج سے کروگے
. کوئی تمہیں پھر بچائے گا کیا
. تم اپنی موت آپ ہی مروگے
. ہیں دل بھی چھلنی تمہارے مانا
. ہیں گھر بھی چھلنی تمہارے مانا
. ہر ایک گھر میں لگی ہے گولی
. یہ آئے دن کی تلاشی ٹولی
. یہ گھر کے بچوں کو تنگ کرنا
. انہی سے گویا کہ جنگ کرنا
. یہ سب حقیقت ہے مان لیں ہم
. مگر تدبر سے کام لیں ہم
. یہ ہے جمہوری لڑائی بچچو
. نہیں کسی کی لڑائی بچچو
. نئی کہانی تمہی لکھوگے
. سکون و راحت سے تم جیوگے
. تمہی ہو وادی کی شان بچچو
. تمہی ترقی کی تان بچچو
. تمہاری مٹھٹھی میں نہ ہوں پتتھر
. اسکول و کالج تمہارے رہبر
کلام : مسعود بیگ تشنہ

:: कश्मीरी पत्थर बाज़ों के नाम ::
उठो अहिंसा का साथ पकड़ो .
उठो हाथ से हाथ पकड़ो .
ये क्यों हताशा के हाथ उठे .
जो संग हिंसा के साथ उठे .
उठा के मुट्ठी में सख्त पत्थर.
मुकाबला फौज से करोगे!.
कोई तुम्हें फिर बचाएगा क्या?
तुम अपनी मौत आप ही मरोगे.
हैं घर भी छलनी तुम्हारे माना.
हैं दिल भी छलनी तुम्हारे माना .
हर एक घर में लगी है गोली .
ये आए दिन की तलाशी टोली.
ये घर के बच्चों को तंग करना.
उन्हीं से गोया कि जंग करना.
ये सब हक़ीक़त है मान लें हम.
मगर तदबबुर से काम लें हम.
ये है जमहूरी लड़ाई बच्चो.
नहीं किसी की लड़ाई बच्चो.
अभी तलक क्या है तुम ने पाया.
नहीं नहीं बस है सब गंवाया.
नई कहानी तुम ही लिखोगे.
सुकून ओ राहत से तुम जियोगे.
तुम्ही हो वादी की जान बच्चो.
तुम ही तरक़क़ी की तान बच्चो.
तुम्हारी मुट्ठी में ना हों पत्थर.
स्कूल ओ कॉलिज तुम्हारे रहबर.
कलाम : मसूद बेग तिश्ना

:: Kashmiri patthar bazoN ke naam ::
Utho ahinsa ka saath pakdo.
Utho haath se haath pakdo.
Ye kyoN hatasha ke haath utthe.
Jo saNg hinsa ke saath utthe.
Utha ke mutthi meiN sakht patthar
Muqabila fauj se karoge !
Koi tumheN phir bachayega kya!
Tum apni maut aap hi maroge
HaiN ghar bhi chhalni tumhare maana.
HaiN dil bhi chhalni tumhare maana.
Har ek ghar meiN lagi hai goli.
Ye aaye din ki talashi toli.
Ye ghar ke bachhoN ko taNg karna.
Unhi se goya ke jaNg karna.
Ye sab haqiqat hai maan leN ham.
Magar tadabbur se kaam leN ham.
Ye hai jamhuri ladai bachcho.
NahiN kisi ki ladai bachcho.
Abhi talak kya hai tum ne paya.
NahiN nahiN bas hai sab gaNwaya.
Naii kahani tumhi likhoge.
Sukoon o rahat se tum jiyoge.
Tumhi ho waadi ki shaan bachcho.
Tumhi taraqqi ki taan bachcho.
Tumhari mutthi meiN na hoN patthar.
School o college tumhare rahbar.
Kalaam : Masood Baig Tishna








Thursday, July 19, 2018

GHAZAL غزل ग़ज़ल

:: غزل ::
. حیاء کسی کی بچا کے رکھنا.
. نگاہ اپنی جھکا کے رکھنا.
. مقابلہ جب حریف سے ہو.
. تو اپنا سینہ اٹھا کے رکھنا.
. غلط بیانی سے کام نہ لو.
. نہ جھوٹ کو سچ بنا کے رکھنا.
. یہ بیش قیمت بہت ہے غیرت.
. انا کو اپنی بچا کے رکھنا.
. نہیں دبو ہر کسی سے تشنہ.
. نہیں کسی کو دبا کے رکھنا.
کلام : مسعود بیگ تشنہ
:: ग़ज़ल ::
हया किसी की बचा के रखना.
निगाह अपनी झुका के रखना.
मुक़ाबिला जब हरीफ़ से हो
तो अपना सीना उठा के रखना.
ग़लत बयानी से काम ना लो
ना झूठ को सच बना के रखना.
ये बेश क़ीमत बहुत है ग़ैरत.
अना को अपनी बचा के रखना.
नहीं दबो हर किसी से "तिश्ना".
नहीं किसी को दबा के रखना .
कलाम : मसूद बेग तिश्ना
:: Ghazal ::
Haya kisi ki bacha ke rakhna.
Nigah apni jhuka ke rakhna.
Muqabila jab Hareef se ho
To apna seena utha ke rakhna
Ghalat bayani se kaam na lo.
Na jhoot ko sach bana ke rakhna.
Ye beshqeemat bahaut hai ghairat .
Ana ko apni bacha ke rakhna .
NahiN dabo har kisi se "Tishna" .
NahiN kisi ko daba ke rakhna.
Kalaam : Masood Baig Tishna



Tuesday, July 10, 2018

JHOOTI KHABAR جھوٹی خبر झूठी ख़बर

:: جھوٹی خبر ::
. ایک افواہ اور پھیلائی گئی جھوٹی خبر
 . چھین لیتی ہے کسی کی زندگی جھوٹی خبر
.  یہ کمینوں کے چلن کی ایک چھوٹی سی مثال
. یہ کمینے ہر سیاست باز کی جھوٹی خبر
. خوف کے نفرت کے ہر ماحول میں چلتی بھی خوب
. خوف کو نفرت کو دیتی زندگی جھوٹی خبر
. ظلم ہونے سے بچالیتا ہے اپنے طور پر
.روک دیتا ہے بھلا سا آدمی جھوٹی خبر
. کچھ حکومت کو بھی " تشنہ" جھوٹ سچ اچھا لگے
. ورنہ کیوں پھیلے یہ افواہ، بےبسی، جھوٹی خبر
کلام :: مسعود بیگ تشنہ
:: झूठी ख़बर ::
एक अफ़वाह और‍ फैलाई गई झूठी ख़बर.
छीन लेती है कि‍सी की जिंदगी झूठी ख़बर.
ये कमीनों के चलन की एक छोटी सी मिसाल.
ये कमीने हर सियासत बाज़ की झूठी ख़बर.
ख़ौफ के नफ़रत के हर माहौल में चलती भी खूब. 
ख़ौफ को नफरत को देती ज़िन्दगी झूठी ख़बर.
ज़ुल्‍म होने से बचा लेता है अपने तौर पर.
रोक देता है भला सा आदमी झूठी ख़बर.
कुछ हुकूमत को भी " तिश्ना" झूठ सच अच्छा लगे.
वर्ना क्यों फैले ये अफ़वाह, बेबसी झूठी ख़बर.
कलाम :: मसूद बेग तिश्ना
:: Jhooti khabar ::
Ek afwah aur phailaaii gaii jhooti khabar.
Chheen leti hai kisi ki zindagi jhooti khabar.
Ye kaminoN ke chalan ki ek chhoti si misaal.
Ye kamine har siyasat baaz ki jhooti khabar.
Khauf ke , nafrat ke, har mahaul meiN chalti bhi khoob.
Khauf ko nafrat ko deti zindagi jhooti khabar.
Zulm hone se bacha leta hai apne taur par
Rok deta hai bhala sa aadmi jhooti khabar.
Kuchh Hukumat ko bhi " Tishna " jhoot - sach achchha lage.
Warna kyoN phaile ye afwah, bebasi, jhooti khabar.
Kalaam :: Masood Baig Tishna













Wednesday, June 27, 2018

AAH! SHUJAAT BUKHARI آہ! شجاعت بخاری

 :: آہ!شجاعت بخاری ::
. وہ مددگار صلح و گفت و شنید
. جس کی ہمدردی کی نہیں ہے   نظیر
. جان دے دی بحق  امن و اماں
. وہ صحافی مگر اماں کا سفیر
فرزند کشمیر و شہید صحافت شجاعت بخاری کو گلہائے عقیدت
:: مسعود بیگ تشنہ ::
 :: Aah! Shujaat Bukhari ::
Woh madadgar e sulh o guft o shuneed.
Jis ki hamdardi ki nahiN hai nazeer.
Jaan de di b'haqq e amn o amaaN.
Woh sahafi magar amaaN ka safeer.
( Farzand e Kashmir Shaheed e Sahafat Shujaat Bukhari ko gul haye aqidat)
:: Masood Baig Tishna ::

Wednesday, June 13, 2018

NAAT SHARIF


   

 

NAAT SHARIF

 نعت شریف 

 

MOHAMMAD HAIN SAARE JAHANO  KI RAHMAT محمّد ہیں سارے جہانوں کی رحمت 

  MOHAMMAD KI BEY MISL SHAAN E NUBUWAT محمّد کی بے مثل  شان  نبوت 

HAMEIN JAAN SE PYARI HAI RAB KI WAHDAT ہمیں جان سے پیاری ہے رب کی وحدت 

  HAMEIN JAAN SE PYARI SHAAN E RISAALATہمیں جان سے پیاری شان  رسالت  

NAHIN JABR KI DEEN MEIN DI IJAZAT نہیں جبر کی دین میں دی اجازت 

MOHAMMAD KI  TAALIM DEHSHAT SE NAFRAT محمّد کی تعلیم دہشت سے نفرت 

DI TAALIM TASLEEM KI AUR RAZA KI دی تعلیم تسلیم کی اور رضا کی 

QURAAN E MUBEEN KI DIKHAI HIDAYAT قرآن  مبیں کی دکھائی ھدایت 

MITA SHIRK TAUHID KI AAGAHI SE مٹا شرک توحید کی آگہی سے 

MITI PHIR QABILAAI BAGHZ O ADAWAT مٹی پھر قبیلائی بغض و عداوت 

CHALE JIS PE KHUD,SAATHIYON KO CHALAYA چلے جس پہ خود ،ساتھیوں کو چلایا 

BATAI SHARIAT ,DIKHAI  VOH SUNNAT بتائی شریعت ،دکھائی  وہ سنّت 

SABHI QAUM O MILLAT ,SABHI NAU E INSAAN سبھی قوم و ملّت ،سبھی نوع  انساں 

QAYAMAT TALAK PAAENGE AB HIDAYAT قیامت تلک پائینگے اب ہدایت 

BHALA HOGA  DUNIYA KA AUR AAKHIRAT KA بھلا ہوگا  دنیا کا اور آخرت کا 

SHARIYAT JO  MANOGE, MANOGE  SUNNAT شریعت جو مانوگے،  مانو گے سنّت 

AGAR UMMATI  HO MOHAMMAD KE SACHCHE  اگر امّتی ہو محمّد کے سچّھے HASAD SE BACHO ,BARTO IKHLAS, UKHU'WAT حسد  سے بچو ،برتو اخلاص، اُخوّت 

YEHI ILTIJA HAI MERI RAB SE `TISHNA` یہی التجا ہے میری رب سے `تشنہ

MILE ROZ E MAHSHAR NABI KI SHAFA'AT ملے روز  محشر نبی کی شفاعت 

 

SHAIR :MASOOD BAIG `TISHNA `INDORE [INDIA ]شاعر :مسعود بیگ `تشنہ `،اندور ،انڈیا 

DATE OF KALAAM :29 DECEMBER ,2014 تاریخ  کلام:٢٩دسمبر ٢٠١٤

Tuesday, June 5, 2018

Kashmiri naujawanoN ke naam کشمیری نوجوانوں کے نام

:: کشمیری نوجوانوں کے نام ::
یہ سرحدوں کے جھگڑے، یہ مزہبی تعصب
گمراہ دین و دنیا جھگڑیں تو کیا تعججب
جنت نظیر تھا جو یہ کاشمیر اپنا
اب بن گیا جہنم ، ٹوٹا حسین سپنا
یہ مزہبی تعصب، یہ انگریزی سیاست
کتنی بڑی تھی آفت، کتنی بڑی ہے آفت
اس دور کی سیاست میں گر اعتدال ہوتا
 یہ ملک تب نہ بنٹتا ، ایسا نہ حال ہوتا
نہرو ، پٹیل پہلے ہی طے کر چکے تھے سب کچھ
ماونٹ بیٹن کے رنگ میں رنگ بھر چکے تھے سب کچھ
جناح کو لامحالہ کرنا پڑا تھا دستخط
ایسا پڑا تھا پھندا ، ایسی پڑی تھی آفت
گھس پیٹھیئے قبیلے کشمیر میں گھسے تھے
ماونٹ بیٹن کے منھ پر تالے مگر پڑے تھے
ماونٹ بیٹن دونوں کی فوجوں کے تھے کمانڈر
تھی سوچی سمجھی سازش ، کسی بات کا نہ تھا ڈر
یہ تھے کرشن مینن جو بھول کر گئے تھے
یو این او پہنچ گئے تھے ، دنیا سے ڈر گئے تھے
تب ہی سے آج تک ہے جھگڑے کی یہ کہانی
ہے حریت پسندوں کی اس میں گل فشانی
یہ ہے جہاد کیسا ، کیسی یہ حریت ہے
اور قوم کے بھلے کی کیا اس میں مصلحت ہے
نفرت بھرے دلوں سے بےسمت جا رہے ہیں
یہ نوجواں سیاست کے کام آ رہے ہیں
"مزہب نہیں سکھاتا آپس میں بیر رکھنا "
یہ سرحدیں بنانا ،نفرت سے پیر رکھنا
مانا تمہارے گھر ہیں ان گولیوں سے چھلنی
مانا تمہارے دل ہیں ان بولیوں سے چھلنی
دن رات کا یہ منظر تم کو بھی سالتا ہے
اور شک کا بھاری تمغہ، دہشت کو پالتا ہے
فوجوں کے زیر سایہ کب تک رہےگا کوئی
یہ ان کی بالادستی کب تک سہے گا کوئی
یہ لاٹھیاں ، یہ پتتھر، گرینیڈ اور برچھی
 صورت یہ باغیانہ بالکل نہیں ہے اچھی
ہاتھوں  میں کام مانگو، محنت کا جام مانگو
تعلیم و روزگار و امن دوام مانگو
کلام : مسعود بیگ تشنہ

:: कश्मीरी नौजवानों के नाम ::
यह सरहदों के झगड़े, यह मज़हबी तअस्सुब.
गुमराह ए दीन ओ दुनिया झगड़ें तो क्या तअज्जुब.
जन्नत नज़ीर था जो यह काशमीर अपना.
अब बन गया जहन्नुम, टूटा हसीन सपना.
यह मज़हबी तअस्सुब, यह अंग्रेज़ी सियासत.
कितनी बड़ी थी आफ़त, कितनी बड़ी है आफ़त.
उस दौर की सियासत में एतेदाल होता.
तो मुल्क तब ना बंटता, ऐसा ना हाल होता.
नेहरू, पटेल पहले ही तय कर चुके थे सब कुछ.
माउंट बेटन के नक़शे में रंग भर चुके थे सब कुछ.
जिन्ना को ला मुहाला करना पड़ा था दस्‍तख़त.
ऐसा पड़ा था फंदा ऐसी पड़ी थी आफ़त.
घुसपैठिए क़बीले कश्मीर में घुसे थे.
 माउंट बेटन के मुंह पर ताले मगर पड़े थे.
माउंट बेटन दोनों की फौजों के थे कमांडर.
थी सोची समझी साजिश किसी बात का ना था डर.
यह थे कृष्ण मेनन जो भूल कर गए थे.
यू एन ओ पहुंच गए थे, दुनिया से डर गए थे .
तब ही से आज तक है झगड़े की यह कहानी.
है हूर्रियत पसंदों की इस में गुल फ़ीशानी.
यह है जिहाद कैसा? यह कैसी हूर्रियत है?.
और क़ौम के भले की क्या इस में मसलिहत है.
नफ़रत भरे दिलों से बे सिम्त जा रहे हैं.
ये नौजवां सियासत के काम आ रहे हैं.
" मज़हब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना ".
ये सरहदें बनाना, नफ़रत से पैर रखना.
माना तुम्हारे घर हैं इन गोलियों से छलनी.
माना तुम्हारे दिल हैं इन बोलियों से छलनी.
दिन रात का यह मंज़र तुम को भी सालता है.
और शक का भारी तमगा दहशत को पालता है.
फौजों के ज़ेरे साया कब तक रहेगा कोई.
और इन की बाला दस्ती कब तक सहेगा कोई.
ये लाठियां, ये पत्थर, ग्रेनेड और बरछी.
सूरत यह बागियाना बिल्कुल नहीं है अच्छी.
हाथों में काम मांगो, महनत का जाम मांगो.
तालीम ओ रोज़गर ओ अमने दवाम मांगो.
कलाम : मसूद बेग तिश्ना



Wednesday, May 9, 2018

QATA क़ता قطعہ

:: قطعہ ::
.بھاشا گندی ،سوچ بھرشٹ
.جان و مال سے دیتے کشٹ
 .دھرم نیتی یا راج نیتی
 .کرتے سب کے مولیہ نشٹ
:: مسعود بیگ تشنہ ::
 :: क़ता ::
भाषा गंदी, सोच भ्रष्ट.
जान ओ माल से देते कष्ट.
धर्म नीति या राज नीति.
करते सब के मूल्य नष्ट.
कलाम :: मसूद बेग तिश्ना
:: Qata ::
Bhasha gandi, soch bhrasht.
Jaan o maal se dete kasht.
Dharm niti ya raj niti.
Karte sab ke mulya nasht.
Kalaam :: Masood Baig Tishna 

Thursday, May 3, 2018

GHAZAL غزل ग़ज़ल

:: غزل ::
. عزت و عصمت پہ پڑتی چوٹ بھاری ملک میں
. مجرمانہ زہنیت کی آبیاری ملک میں
. گھومتے مجرم ہیں آزادانہ ہندوستان میں
. سینکڑوں " کٹھوا "  ہزاروں ہیں " نٹھاری"  ملک میں
. اس حکومت،  اس پولس،  اس منصفی پر ہیں سوال
. نسلی نفرت اور سیاست کے پجاری ملک میں
. اس سیاست نے  کئ خانوں میں بانٹا ہے ہمیں
. پہلے جو تھی اب نہیں ہے دوست داری ملک میں
. ہے ترقی چار طرفہ چند لوگوں کے لئے
. باقی لوگوں پہ ہے بھاری شب گزاری ملک میں
. جھوٹ کی بنیاد پر وعدوں کی دنیا کا طلسم
. دھرم کی بنیاد پر یہ خون باری ملک میں
. کون پوچھے حاکموں سے "تشنہ" کوئی بھی سوال
. ہے زباں پہ خوف کا تالا جو بھاری ملک میں
کلام : مسعود بیگ تشنہ
:: ग़ज़ल ::
इज्ज़त ओ अस्मत पे पड़ती चोट भारी मुल्क में.
मुजरिमना ज़े‍हनियत की आब यारी मुल्क में.
घूमते मुजरिम हैं आज़ादाना हिंदुस्तान में.
सैंकड़ों " कठुआ " , हज़ारों हैं " निठारी"  मुल्क में.
इस हुकूमत, इस पुलिस, इस मुंसिफ़ी पर हैं सवाल.
नस्ली नफ़रत और सियासत के पुजारी मुल्क में.
इस सियासत ने कई ख़ानों में बांटा है हमें.
पहले जो थी अब नहीं है दोस्त दारी मुल्क में.
है तरक्क़ी चार तरफा चंद लोगों के लिए.
बाक़ी लोगों पे है भारी  शब गुज़ारी मुल्क में.
झूठ की बुनियाद पर वादों की दुनिया का तिलिस्म.
धर्म की बुनियाद पर ये खून बारी मुल्क में.
कौन पूछे हाकिमों से " तिश्ना " कोई भी सवाल.
है ज़ुबा पे खौफ का ताला जो भारी मुल्क में.
कलाम : मसूद बेग तिश्ना
:: Ghazal ::
Izzat o asmat pe padti chot bhaari mulk meiN.
Mujrimana zehniyat ki aab yaari mulk meiN.
Ghoomte mujrim haiN azaadaana hindustan meiN.
SaiNkdoN " Kathua " hazaaroN haiN " Nithari " mulk meiN.
Is Hukumat, is police, is munsafi par haiN sawal.
Nasli nafrat aur siyasat ke pujari mulk meiN.
Is siyasat ne ka'ii khaanoN meiN baaNta hai hameiN.
Pehle jo thi ab nahiN hai dost daari mulk meiN.
Hai taraqqi chaar tarfa chand logoN ke liye.
Baaqi logoN pe hai bhaari shab guzaari mulk meiN.
Jhoot ki buniyad par waadon ki duniya ka tilism
Dharm ki buniyad par ye khoon baari mulk meiN. 
   Kaun poochhe haakimoN se " Tishna " koi bhi sawal.
Hai zubaaN pe khauf ka taala jo bhaari mulk meiN.
Kalaam : Masood Baig Tishna


Wednesday, April 11, 2018

UPWAS उपवास اپواس

Jhoot ke dher pe bara ghante ka karte upwas .
Nafrat ,  dhoka aur aadambar hi jinka hai itihas.
Satta sukh ki jalti baati  , maryada na lajja aati.
Gandhi Ji ke des meiN "Tishna" Gandhi ka uphas.

झूठ के ढेर पे बारा घंटे का करते उपवास .
नफरत , धोखा और आडंबर ही जिनका है इतिहास.
सत्ता सुख की जलती बाती  , मर्यादा ना लज्जा आती.
गाँधी जी के देस में " तिश्ना" गाँधी का उपहास .


Monday, April 2, 2018

DOHA दोहा دوہا

# دوہا #
. مجھ ناداں کو آج تک پیر ملا نہ کوئے
. میرا باطن آئینہ دوج سجا نہ کوئے
# مسعود بیگ تشنہ #
# दोहा #
मुझ नादां को आज तक पीर मिला न कोए.
मेरा बातिन आईना दूज सजा न कोए.
# मसूद बेग तिश्ना #
# Doha #
Mujhe nadaaN ko aaj tak peer mila na koy.
Mera baatin aaina duuj saja na koy
# Masood Baig Tishna # 

Thursday, March 29, 2018

DOHE दोहे دوہے

دوہے
( 1 )
.جات پات کا کانٹا   ایسا کردے من بے چین
.دین دھرم کا کانٹا  ایسا اندھے کردے نین
( 2 )
.رام نومی پہ استر شستر سے جھنڈا یاترا لیس
.ڈوب گئی چللو بھر پانی مریادا کی بھینس
:: مسعود بیگ تشنہ ::
Dohe
(1)
Jaat paat ka kaaNta aisa karde man bechain.
Deen dharm ka kaaNta aisa andhe karde nain.
(2)
Ram Navmi pe astra shastra se jhanda yatra lais.
Doob gayi chullu bhar pani maryada ki bheNs
:: Masood Baig Tishna ::
दोहे
(1) जात पात का काँटा ऐसा करदे मन बेचैन.
दीन धर्म का काँटा ऐसा अंधे करदे नैन.
(2 )
राम नवमी पे अस्त्र शस्त्र से झंडा यात्रा लैस
डूब गई चुल्लू भर पानी मर्यादा की भैंस
:: मसूद बेग तिश्ना  

Monday, March 26, 2018

Wo Aur MaiN वो और मैं وہ اور میں


Wo Aur MaiN वो और मैं وہ اور میں
وہ اور میں
..............
( 1 )
اسے چھونے سے ہو احساس دل میں ٠
ادھورا تھا ابھی پورا ہوا ہوں ٠
زمیں اسنے بچھائی جسم و جاں کی ٠
میں چادر بن فلک اوڑھا ہوا ہوں ٠
( 2) 
ہاتھ میں زلف کے الجھیں دھاگے ٠
سانس میں لمس کی خوشبو جاگے ٠
اس کا یہ آلنگن "تشنہ" ٠
سات سروں کا سنگم لاگے ٠
( 3)
کبھی وہ لمس کا جادو جگائے ٠
کبھی وہ خواب بن آنکھوں میں آئے ٠
کبھی بے اعتنائی اتنی برتے ٠
کہ گھر انگنا میں بے رنگی سی چھائے ٠
( 4) 
اسے بس فکر میری رات دن ہو ٠
وہ میری فکر میں دن رات ڈوبے ٠
وہ میری جان میری ہمسفر ہے ٠
نہیں اس کام سے ہرگز وہ اوبے ٠
( 5)
وہ کوئی اور کب ہے ٠
کہ جسمیں اسکی چھب ہے ٠
شریکِ زندگی وہ ٠
ہزارہا شکر رب ہے ٠
کلام :: مسعود بیگ تشنہ برہانپوری ،اندور 
Wo Aur MaiN :
(1) 
Usey chhoone se ho ehsaas dil meiN. 
Adhura tha abhi pura hua huN.
Zameen usne bichhai jism o jaaN ki.
MaiN chaadar ban falak odha hua huN.
(2 ) 
Haath meiN zulf ke uljheiN dhaage.
SaaNs meiN lams ki khushboo jaage 
Uska ye aaliNgan " Tishna ". 
Saat suroN ka sargam laage.
(3)
Kabhi wo lams ka jadoo jagaey. 
Kabhi wo khaab ban aaNkhoN meiN aaey.
Kabhi be-etinai itni barte.
Ke ghar aNgna meiN be rangi si chhaey. 
(4)
Usey bas fikr meri raat din ho. 
Wo meri fikr meiN din raat dubey. 
Wo meri jaaN meri hamsafar hai. 
NahiN is kaam se hargiz wo uubey.
(5)
Wo koi aur kab hai. 
Ke jis meiN uski chhab hai.
Shareek e zindagi hai.
Hazaar ha shukr e rab hai. 
Kalaam :: Masood Baig Tishna Burhanpuri, Indore 
:: वो और मैं ::
(1)
उसे छूने से हो एहसास दिल में. 
उधुरा था अभी पूरा हुआ हूं.
ज़मीं उसने बिछाई जिस्म ओ जां की. 
मैं चादर बन फ़लक ओढ़ा हुआ हूं. 
(2 ) 
हाथ में ज़ुल्‍फ़ के उलझें धागे. 
साँस में लम्स की ख़ुशबु जागे. 
उसका ये अलिंगन " तिश्ना ". 
सात सुरों का सरगम लागे. 
(3)
कभी वो लम्स का जादू जगाए. 
कभी वो ख़्वाब बन आँखों में आए 
कभी बे एतेनाई इतनी बरते. 
के घर अंगना में बेरंगी सी छाए.
(4)
उसे बस फ़िक्र मेरी रात दिन हो 
वो मेरी फ़िक्र में दिन रात डूबे.
वो मेरी जान मेरी हमसफ़र है. 
नहीं इस काम से हर्गिज़ वो ऊबे.
(5) 
वो कोई और कब है . 
के जिसमें उसकी छब है.
शरीके जिंदगी है.
हज़ार हा शुक्र ए रब है.
कलाम :: मसूद बेग तिश्ना बुरहानपुरी , इंदौर



Friday, March 16, 2018

STEPHEN HAWKING KHOYA TARA اسٹیفن ہاکنگ کھویا تارہ

 :: Stephen Hawking : Khoya tara ::
Munkar - e-yazdaaN magar tishna-ramuz-kaayenaat .
Waaqif-ramz-tabahi aur aruz-e-kaayenaat .
Wo ke daanaaii meiN yakta aur fard-e-be-misaal.
Justuju meiN mard-e-kaamil aur mard-e-be-misaal .
Agahi aur ilm ki jiski talab tishna talab .
Zindagi bhar zindagi ke waaste jo jaaN b'lab.
GuththiyaaN kaale khalai hol (1 ) ki suljhaye wo.
TaaroN ke gum hone ki tarkeeb ko samjhaye wo.
Rabt wo sapekshta (2) meiN aur dhamaake (3)meiN dikhaye.
 " Kaayenaati  ibteda" (4) ko haadisa jaise bataye.
Go ke tha wo Kaainati fikr ka aala shanaas
  Jaane kyuN kar tha khudaii se magar wo na shanaas .
Tha wo inkaari ke jannat ka bhi hai koi qayaam
Par junoon - aagahi ko aa gaya us se dawaam .
Kya wujood - kaayenaat  ek Kaayenaati ittefaaq .
" Kun fa ya kun" ka nahiN shaamil koi siyaaq o sabaaq .
Qudrat-e-insaan meiN mumkin hai har rad o  qubool .
Qudrat-e-yazdaaN se lekin ho nahiN sakti hai bhool .
" Kun fa ya kun  " ko azal se ta abad qaa'im dawaam.
Stephen Hawking tujhe phir bhi hai aalam ka salaam.
# Masood Baig Tishna #
(1).Black hole theory  , (2). Theory of relativity , (3) . Big Bang theory , (4) . Origin of universe.
::    اسٹیفن   ہاکنگ  : کھویا تارہ  ::
......................
. منکر یزداں مگر تشنہ رموزِ کائنات
. واقف رمزِ تباہی اور عروض کائنات
. وہ کہ دانائی میں یکتا اور فرد بےمثال
. جستجو میں مرد کامل اور مرد بےمثال
. آگہی و علم کی جس کی طلب تشنہ طلب
. زندگی بھر زندگی کے واسطے جو جاں بلب
. گتھتھیاں کالے خلائی ہول( 1) کی سلجھائے وہ
. تاروں کے گم ہونے کی ترکیب کو سمجھائے  وہ
. ربط وہ ساپیکشتا( 2)میں اور دھماکے( 3)میں دکھائے
. کائناتی ابتداء( 4) کو حادثہ  جیسے بتائے
  .گو کہ تھا وہ کائناتی فکر کا اعلیٰ شناس
  .جانے کیوں کر تھا  خدائی سے مگر وہ ناشناس
. تھا وہ انکاری کہ جنت کا بھی ہے کوئی قیام
. پر جنون آگہی کو آگیا اس سے  دوام
."!کیا وجودِ کائنات اک کائناتی اتّفاق "
. کُن - فَ-یَکُن" کا نہیں شامل کوئی سیاق و سباق "
. قدرتِ انسان میں  ممکن ہے ہر ردّ وقبول
. قدرتِ یزداں سے لیکن ہو نہیں سکتی ہے بھول
. کُن - فَ - یَکُن کو ازل سے تا ابد قائم دوام
. "  اسٹیفن ہاکنگ"  تجھے پھر بھی ہے عالم کا سلام":
 کلام : مسعود بیگ تشنہ
( 1 )
 بلیک ہول تھیوری( 2) تھیوری آف ریلیٹیوٹی ( 3)بگ بینگ تھیوری( 4) اوریجن آف یونیورس

Thursday, March 1, 2018

YE HOLI RANG یہ ہولی رنگ ये होली रंग

:: Ye Holi RaNg ::
Ye holi raNg sachche  haiN.
InheiN aise hi rehne do. 
Aiy gandi soch ke keedo!
InheiN badraNg mat karna. 
Badi pe jeet neki ki.
 Ise aise hi rehne do. 
Sabhi bhai pyare haiN. 
InheiN yuuN taNg mat karna. 
Ke jhanda yatra koi. 
Badal jaye na daNge meiN. 
Tumhari soch ka gobar. 
Nikal jaye na daNge meiN. 
........ 
Ye holi raNg sachche haiN. 
InheiN aise hi rehne do. 
Kalaam : Masood Baig Tishna 
:: ये  होली रंग ::
ये होली रंग सच्चे हैं. 
इन्हें ऐसे ही रहने दो. 
ऐ गंदी सोच के keedoo! 
 इन्हें  बद रंग मत करना. 
बदी पर जीत नेकी की. 
इसे ऐसे ही रहने दो. 
सभी भाई हमारे हैं. 
इन्हें  यूँ तंग मत करना. 
कि झंडा यात्रा कोई. 
 बदल जाए न दंगे में. 
तुम्हारी सोच का गोबर. 
निकल जाए न दंगे में. 
.......... 
ये होली रंग सच्चे हैं. 
इन्हें ऐसे ही रहने दो. 
कलाम : मसूद बेग " तिश्ना"  
:: یہ ہولی رنگ ::
یہ ہولی رنگ سچے ہیں
انہیں ایسے ہی رہنے دو
 اے گندی سوچ کے کیڑو
انہیں بدرنگ مت کرنا
بدی پہ جیت نیکی کی
اسے ایسے ہی رہنے دو
سبھی بھائی ہمارے ہیں
انہیں یوں تنگ مت کرنا
کہ جھنڈا یاترا کوئی
بدل جائے نہ دنگے میں
تمہاری سوچ کا گوبر
نکل جائے نہ دنگے میں
........ 
یہ ہولی رنگ سچّے ہیں
انہیں ایسے ہی رہنے دو
کلام : مسعود بیگ تشنہ 








Wednesday, February 28, 2018

SHAAM (SYRIA) (شام ( سیریا शाम (सीरिया)

:: Shaam (Syria) ::
Khoon ashaam shaam kab tak bhai.
Zulm aur inteqam kab tak bhai.
Shaam par alami siyasat ye.
Hogi tasht az baam kab tak bhai.
# Masood Baig Tishna 

Saturday, February 24, 2018

GHAZAL غزل ग़ज़ल


 :: غزل ::
. ہم کہ اپنی ہی دسترس میں نہیں
. یعنی کہ آپ اپنے بس میں نہیں
. ہم پس و پیش میں رہے ہر دم
. یہ زمانہ کہ پیش و پس میں نہیں
. آتے آتے شعور آتا ہے
. عقل آتی ہے چند برس میں نہیں
. زہر پھیلادیا ہے لاکھوں میں
. اب کے نفرت یہ پانچ دس میں نہیں
. جھوٹ، نفرت، فریب، مکاری
. آج بھی" تشنہ" اپنے بس میں نہیں
کلام : مسعود بیگ تشنہ
 :: Ghazal ::
Ham ke apni hi dastaras meiN nahiN.
Yani ke aap apne bas meiN nahiN.
Ham pas o pesh meiN rahe har dam.
Ye zamana ke pesh o pas meiN nahiN.
Aate aate sha'oor aata hai.
Aql aati hai chand baras meiN nahiN.
Zehr phailadiya hai lakhoN meiN.
Abke nafrat ye paaNch das meiN nahiN.
Jhoot, nafrat, fareb, makkari.
Aaj bhi "Tishna" apne bas meiN nahiN.
Kalaam : Masood Baig Tishna




Monday, February 19, 2018

TEEN QATAAT TEEN RANG तीन क़तात तीन रंग تین قطعات تین رنگ


तीन क़त्आत तीन रंग
......एक
राजनीतिक रुसूख के पाले.
देश के सब माली घोटाले.
वर्षों से यह होता आया.
तू भी खा ले, तू भी खा ले.
...... दो
तन के उजले मन के काले.
देश के ये नेता, रखवाले.
पिसती जनता, मरते कृषक.
विष के बाण, नफरत के जाले.
...... तीन
झूठ की चांदी, सच के लाले.
सच का मुलम्मा झूठ चढ़ाले.
यह व्यवस्था अंधी गूँगी.
गुंडे पाले, क़ातिल पाले.
कलाम : मसूद बेग तिश्ना
 تین قطعات تین رنگ
...... ایک
راجنیتک رسوخ کے پالے.
دیش کے سب مالی گھوٹالے.
برسوں سے یہ ہوتا آیا.
تو بھی کھا لے، تو بھی کھا لے.
...... دو
تن کے اجلے من کے کالے.
دیش کے یہ نیتا، رکھوالے.
پستی جنتا، مرتے کرشک.
وش کے بان، نفرت کے جالے.
....... تین
جھوٹ کی چاندی، سچ کے لالے.
سچ کا ملممع جھوٹ چرھالے(chadha le)
یہ ویوستھا اندھی گونگی.
عندے( ghunde )پالے ، قاتل پالے.
کلام: مسعود بیگ تشنہ

Teen qataat teen raNg
........ Ek
Rajnitik rasookh ke paale.
Desh ke sab mali ghotale.
BarsoN se ye hota aaya.
Tu bhi kha le, tu bhi kha le.
........ Do
Tan ke ujle, man ke kaale.
Desh ke ye neta, rakhwale.
Pisti janta, marte krishak.
Vish ke baan, nafrat ke jaale.
.........Teen
Jhoot ki chaaNdi, sach ke la le.
Sach ka mulamma jhoot chadha le.
Ye vewastha andhi guNgi.
Ghunde pa le, qaatil pa le.
Kalaam : Masood Baig Tishna 

Monday, February 5, 2018

BUDGET GHOTALA बजट घोटाला

## #
  ## बजट घोटाला ##
## मसूद बेग तिश्ना ##
यह तो लगता है घोटालों का बजट.
यह सेहत बीमा के जालों का बजट.
झुंजुना बीमा का बीमारी नहीं.
क्या बजट बीमा से खुद भारी नहीं.
मेंहगा होगा बीमा मेंहगा अस्पताल.
ये फलेंगे और खज़ाना खस्ता हाल.
हम सेहत बीमा का धोका खाएंगे.
कॉर्पोरेट सब फाएदा ले जाएंगे.
क्यों नहीं लागत घटाने के उपाय.
कृषि संसाधन बढ़ाने के उपाय.
ख़ुद कुशी है फिर किसानों का नसीब.
यह सियासत जिस पे चलती है अजीब.
फॉर्मूला जो था एम एस पी का बना.
केंद्र अब उस फ़ॉर्मूले से हट गया.
लागू करने स्वामीनाथन की रिपोर्ट.
आ गया सरकार की नीयत में खोट.
खर्च के सामर्थ्य से जिनके ये सब.
वो ही मध्यम वर्ग है सकते में अब.
ये वही एट सोर्स जिसका टैक्स है.
वो ही ज़्यादा देता कब रिलैक्स है.
नोट बन्दी से मरे व्यापार उद्योग.
लग गया उनको डिजिटल का ये रोग.
रोज़ी पक्की लेबर इन्सेंटिव में दो.
फॉर्मल सेक्टर में ऐसा काम हो.
धीरे धीरे ही नई टेक्नीक दो.
रोज़गर उपजे वही टेक्नीक दो.
 बुनियादी शिक्षा का ढांचा है खराब.
इसके पीछे रखते कुछ खर्च का हिसाब.
झटके में स्किल डेवलप हो गई.
रेज़गारी रोज़गारी खो गई.
झटकों से ये संतुलन बनता नहीं.
झटके देकर राष्ट्र भी चलता नहीं.
ये अठारह का ना बाईस का बजट.
मेंहगे जीवन की प्राइस का बजट.
लूट की है छूट कॉर्पोरेटी खुली.
कब है ये सरकार भी दूध की धुली.
ये भ्रष्टाचार डिजिटल हो गया.
अपना हिंदुस्तान धुंद में खो गया.



Thursday, February 1, 2018

BUDGET बजट

Budget :: Masood Baig Tishna #
Ye budget hai saraab hai kya hai.
( saraab = मृग तृष्णा, mrig trishna,  miraj, dhoka)
Sabki halat kharab hai kya hai.
CorporetoN ko fayeda bhaari.
Bima sector ko laabh hai kya hai.

बजट :: मसूद बेग तिश्ना 
ये बजट है सराब है क्या है.
( सराब = मृग तृष्णा)
सब की हालत खराब है क्या है.
कॉर्पोरेटों को फाएदा भारी.
बीमा सैक्टर को लाभ है क्या है.


Wednesday, January 31, 2018

APNEPAN KI RAIL

Apnepan ki rail ##
Masood Baig Tishna ##
Chaand girhan ya Suraj girhan sab qudrat ke khel.
Sabka kal achchha kaise ho koshish ho bey mail.
ManbhedoN pe girhan lagaao matbhedoN ko bhool.
Ulfat ki patri pe daude apnepan ki rail.

अपनेपन की रेल  ##
मसूद बेग तिश्ना  ##
चाँद गृहन या सूरज  गृहन सब कुदरत  के खेल .
सब का कल अच्छा कैसे  हो  कोशिश हो बे मेल .
मन भेदों  पे गृहन लगाओ मत भेदों  को भूल .
उल्फत की पटरी  पर दौड़े अपनेपन की रेल .

CHANDRA GIRHAN चन्द्र गृहण

Chandra girhan ::::
 Masood Baig  Tishna ##

Chandragirhan hai aaj musibat aayegi kya.
Dedh sau saal ke chakr ki aafat jayegi kya. Qaabiz haiN shaitan hawaayeN mausam par.
Aur siyasat aur qyamat layegi kya.

चन्द्र गृहण :: ::
मसूद बेग तिश्ना ##
चन्द्र गृहण है आज मुसीबत आएगी क्या ।
डेढ़ सौ साल के चक्र की आफत जाएगी क्या ।
क़ाबिज़ हैं शैतान हवाएँ मौसम पर ।
और सियासत और क़यामत लाएगी क्या ।

Tuesday, January 30, 2018

GANDHI NAYA

 गाँधी नया  :: मसूद बेग तिश्ना #
हो गए सत्तर बरस गाँधी की क़ुर्बनी के आज ।
फिर वही हालात मौजूदा परेशानी के आज ।
फिर कोई गाँधी नया उभरेगा इन हालात से ।
ख्त्म करने आएगा वह दिन  हिरासानी के आज।

 Gandhi Naya  :: Masood Baig Tishna #
Ho gaye sattar baras Gandhi ki qurbani ke aaj .
Phir wohi halaat maujuda pareshani ke aaj.
Phir koi Gandhi naya ubhrega in halaat se.
Khatm karne aayega woh din hirasaani ke aaj.

Saturday, January 27, 2018

GANDI SOCH گندی سوچ

गंदी सोच :: मसूद  बेग तिश्ना 
नफरत का यह पौधा सींचा कास गंज में बदला .
लोक तंत्र के जश्न ए ख़ुशी को जश्न ए रंज में बदला .
सियासत  के गंदे  कीड़ों ने दु्श्मन इन शेतानो ने .
अपनी गंदी  सोच को तिश्ना किस प्रपंच में बदला ۔

Gandi soch :: Masood Baig Tishna
Nafrat ka ye pauda seeNcha Kas Ganj meiN badla.
Loktantra ke jashn e khushi ko jashn e ranj meiN badla.
Siyasat ke gande keedoN ne dushman in shaitaanoN ne.
Apni gandi soch ko " Tishna '' kis parpanch meiN badla.
  گندی سوچ :: مسعود بیگ تشنہ
نفرت کا یہ پودا سینچا کاس گنج میں بدلا۔
لوک تنتر کے جشنِ خوشی کو جشنِ رنج میں بدلا۔
سیاست کے گندے کیڑوں نے دشمن اِن شیطانوں نے۔
اپنی گندی سوچ کو " تشنہ " کس پرپنچ میں بدلا۔

Thursday, January 25, 2018

LOKTANTRA KI JYOT

लोक तंत्र की  ज्योत   ##
इस  कौमी  त्योहार पे दिल  की बात बताने बैठा हूँ .
हिंदुस्तान के दिल की धड़कन आज  सुनाने बैठा हूँ .
नफरत और  अल्गाव के शोले  हर दिन भड़के जाते हैं .
आग  बुझाने  निकला हूँ मैं आग  बुझाने बैठा हूँ .
इस माटी  में शिर्क भी  शामिल इस माटी  में विहदत  भी .
इस माटी  की बात  अलग  है  ये समझाने बैठा हूँ .
चिश्ती  - नानक की विहदत भी  राम - कृष्ण  की भक्ति  भी .
आपस की तफरीक की मैं दीवार गिराने बैठा हूँ .
हर रंग  ओ बू  के फूलों से गुलशन महका  रहता  है .
हर रंग  ओ बू के फूलों से ये जग महकाने  बैठा हूँ .
दुस्तूरी तंजीमें , अदालत  , ज़महुरिय्यत खतरे में .
ये खतरा ना बढ़ जाए , ये हाल  दिखाने बैठा हूँ .
शर  फैलाने  शोर मचाने  पर  हो पूरी पाबन्दी .
सच्ची आजादी पर रोक पे शोक  जताने  बैठा हूँ .
भीतर  सम् रसता पर  घातें , बाहर  सम् रसता के भाव .
दोहरेपन का असली चेहरा सामने लाने बैठा हूँ .
देश  की दौलत  का बंटवारा मुट्ठी भर  हाथों में क्यों .
क्यों ना हो उत्थान  सभी का ये समझाने बैठा हूँ .
बुनियादी तालीम सुलभ  हो , बुनियादी सुविधाएं  भी .
सिस्टम  में बदलाव की सूरत अच्छी  पाने बैठा हूँ .
मतभेद  बुरा है  कब " तिश्ना " , मनभेद  बुरा बस होता है .
मैं अंतर् मन से लोकतंत्र की ज्योत जलाने बैठा हूँ .
कलाम :: मसूद  बेग तिश्ना

Loktantra ki jyot ##
Is qaumi tyohaar pe dil ki baat bataane baitha huuN.
Hindustan ke dil ki dhadkan aaj sunaane baitha huuN.
Nafrat aur algaav ke sholey har din bhadke jaate haiN.
Aag bujhaane nikla huuN maiN aag bujhaane baitha huuN.
Is maati meiN shirk bhi shaamil , is maati meiN wehdat bhi.
Is maati ki baat alag hai ye samjhaane baitha huuN.
Chishti - Nanak ki wehdat bhi , Ram - Krishna ki bhakti bhi.
Aapas ki tafreeq ki maiN diwaar giraane baitha huuN.
Har raNg o boo ke phooloN se gulshan bhi mehekta rehta hai.
Har raNg o boo ke phooloN se ye jag mehkaane baitha huuN.
Dasturi tanzeemeiN , adaalat , jamhuriyat khatre meiN.
Ye khatra na bad'h jaaye, ye haal dikhaane baitha huuN.
Shar phailaane , shor machaane par ho puri pabandi.
Sachchi aazadi par rok pe rosh jataane baitha huuN.
Bheetar samrasta pe ghaateiN , baahar samrasta ke bhaav.
Dohrepan ka asli chehra saamne laane baitha huuN.
Desh ki daulat ka bantwara mutthi bhar
haathoN meiN kyuN.
KyuN na ho utthan sabhi ka , ye samjhaane baitha huuN.
Buniyadi taaleem sulabh ho , buniyadi suvidhaayeN bhi.
System meiN badlaav ki  surat achchhi paane baitha huuN.
Matbhed bura hai kab " Tishna " , matbhed bura bas hota hai.
MaiN anterman se loktantra ki jyot jalaane baitha huuN.

  لوک تنتر کی جیوت ##
اِس قومی تیوہار پہ دل کی بات بتانے بیٹھا ہوں۔
ہندوستان کے دِل کی دھڑکن آج سنانے بیٹھا ہوں۔
نفرت اور الگاؤ کے شعلے ہر دن بھڑکے جاتے ہیں۔
آگ بجھانے نکلا ہوں میں آگ بجھانے بیٹھا ہوں۔
اِس ماٹی میں شرک بھی شامل ، اِس ماٹی میں وحدت بھی۔
اِس ماٹی کی بات الگ ہے یہ سمجھانے بیٹھا ہوں۔
چشتی - نانک کی وحدت بھی ، رام - کرشن کی بھکتی بھی۔
آپس کی تفریق کی میں دیوار گرانے بیٹھا ہوں۔
ہر رنگ و بو کے پھولوں سے گلشن بھی مہکتا رہتا ہے۔
ہر رنگ و بو کے پھولوں سے یہ جگ مہکانے بیٹھا ہوں۔
دستوری تنظیمیں ، عدالت ، جمہوریت خطرے میں۔
یہ خطرہ نہ بڑھ جائے کہیں ، یہ حال دکھانے بیٹھا ہوں۔
شر پھیلانے ، شور مچانے پر ہو پوری پابندی۔
سچّی آزادی پر روک پہ روش جتانے بیٹھا ہوں۔
بھیتر سمرستا پر گھاتیں ، باہر سم رستا کا بھاؤ۔
دوہرے پن کا اصلی چہرہ سامنے لانے بیٹھا ہوں۔
دیش کی دولت کا بنٹوارہ مٹھی بھر ہاتھوں میں کیوں۔
کیوں نہ ہو اُتتھان سبھی کا یہ سمجھانے بیٹھا ہوں۔
بنیادی تعلیم سولبھ ہو ، بنیادی سویدھآئیں بھی۔
سسٹم میں بدلاؤ کی صورت اچّھی پانے بیٹھا ہوں۔
مت بھید بُرا ہے کب" تشنہ" ، من بھید بُرا بس ہوتا ہے۔
میں انترمن سے لوک تنتر کی جیوت  جلانے بیٹھا ہوں۔
کلام :: مسعود بیگ تشنہ

Saturday, January 20, 2018

GHAZAL غزل


غزل :: مسعود بیگ تشنہ برہان پوری
سب کو اُسکے سچ کا پتا ہے۔
دیکھتے ہیں اب کسکی ہوا ہے۔
اُسکی نیندیں خواب ہوئی ہیں۔
جھوٹ کا سچ جسنے بھی چکھا ہے۔
کُچھ منصف بے باک ہوۓ ہیں۔
 دُویدھا میں انصاف کھڑا ہے۔
جسکی لاٹھی بھینس اُسی کی۔
اندھے کو کیا خوب سُجھا ہے۔
سازش رچنا  ، سازش کرنا۔
فنکارانہ کام ہُوا ہے۔
پہلے تھے کُچھ طور طریقے۔
اب تو جنگل راج چلا ہے۔
رام راج کے چاہنے والو۔
مريادا میں رام بسا ہے۔
ہٹ دھرمی ہی ہٹ دھرمی ہے۔
اور چُپ کا دربار لگا ہے۔
میرے دِل کو چیر کے دیکھو۔
جس میں میرا دیس بسا ہے۔
" تشنہ" یہ سب باتیں چھوڑو۔
کون خفا تھا؟ کون خفا ہے؟

Ghazal :: Masood Baig Tishna Burhanpuri
Sab ko Uske sach ka pata hai.
Dekhte haiN ab kiski hawa hai.
Uski neeNdeN khwaaab hui haiN.
Jhoot ka sach jisne bhi chakha hai.
Kuchh munsif bebaak huye haiN.
Duwidha meiN insaaf khada hai.
Jiski lathi bhaiNs usi ki.
Andhe ko kia khoob sujha hai.
Saazish rachna saazish karna.
Fankaarana kaam hua hai.
Pehle they kuchh taur tariqey.
Ab to jangal raj chala hai.
Ram Raj ke chaahne waalo.
Maryada meiN Ram basa hai.
Hatdharmi hi hatdharmi hai.
Aur chup ka bazaar laga hai.
Mere dil ko chiir ke dekho.
Jis meiN mera des basa hai.
" Tishna " ye sab BaateiN chhodo.
Kaun khafa tha? Kaun khafa hai?

गज़ल :: मसूद  बेग तिश्ना
सब को उस के सच  का पता  है .
देखते  हैं अब किस की हवा है .
उस की नींदें ख्वाब हुई हैं .
झूट  का सच  जिस ने भी  चखा है .
कुछ  मुंसिफ बेबाक  हुए हैं .
दुविधा  में इंसाफ  खड़ा है .
जिस की लाठी भैंस उसी की .
अंधे  को क्या खूब  सुझा  है .
साजिश रचना साजिश करना .
फंकाराना  काम  हुआ है .
पेहले थे कुछ  तौर  तरीके .
अब तो जंगल राज चला  है .
राम राज के चाहने वालो .
मर्यादा में राम बसा है .
हठ धर्मी ही हठ धर्मी है .
और  चुप  का दरबार  लगा  है .
मेरे दिल को चीर के देखो .
जिस में मेरा देस बसा  है .
" तिश्ना " ये सब बातें छोड़ो .
कौन  ख़फा था ? कौन  ख़फा है ?