:: فکر و وجدان ::
فکر کا عنصر جب بھی غالب ہوتا ہے ٠
وجدان بھی اپنی فکر کا طالب ہوتا ہے ٠
شاعر کی بھی روح مچلتی ہے "تشنہ" ٠
جذبہ بھی اک جان دو قالب ہوتا ہے ٠
کلام : مسعود بیگ تشنہ
:: फ़िक्र ओ विजदान ::
फ़िक्र का उन्सर जब भी ग़ालिब होता है.
विजदान भी अपनी फ़िक्र का तालिब होता है.
शाइर की भी रूह मचलती है "तिश्ना".
जज़्बा भी इक जान दो क़ालिब होता है.
कलाम : मसूद बेग तिश्ना
:: Fikr o wijdaan ::
Fikr ka unsar jab bhi ghaalib hota hai.
Wijdaan bhi apni fikr ka taalib hota hai.
Shair ki bhi rooh machalti hai "Tishna".
Jazba bhi ik jaan do qaalib hota hai.
Kalaam : Masood Baig Tishna
فکر کا عنصر جب بھی غالب ہوتا ہے ٠
وجدان بھی اپنی فکر کا طالب ہوتا ہے ٠
شاعر کی بھی روح مچلتی ہے "تشنہ" ٠
جذبہ بھی اک جان دو قالب ہوتا ہے ٠
کلام : مسعود بیگ تشنہ
:: फ़िक्र ओ विजदान ::
फ़िक्र का उन्सर जब भी ग़ालिब होता है.
विजदान भी अपनी फ़िक्र का तालिब होता है.
शाइर की भी रूह मचलती है "तिश्ना".
जज़्बा भी इक जान दो क़ालिब होता है.
कलाम : मसूद बेग तिश्ना
:: Fikr o wijdaan ::
Fikr ka unsar jab bhi ghaalib hota hai.
Wijdaan bhi apni fikr ka taalib hota hai.
Shair ki bhi rooh machalti hai "Tishna".
Jazba bhi ik jaan do qaalib hota hai.
Kalaam : Masood Baig Tishna
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