Thursday, November 8, 2018

Note Bandi नोट बंदी نوٹ بندی

:: نوٹ بندی ::
 نوٹ بندی کی چوٹ ہے بھاری.
زخم اب بھی ہرا ہے سرکاری.
دھندے چوپٹ تو روزگار نہیں.
دو برس کی ہوئی یہ بیماری.
کلام : مسعود بیگ تشنہ
:: नोट बंदी ::
नोट बंदी की चोट है भारी.
ज़ख़्म अब भी हरा है सरकारी.
धंधे चौपट तो रोज़गार नहीं.
दो बरस की हुई ये बीमारी.
कलाम : मसूद बेग तिश्ना
:: Note Bandi ::
Note bandi ki chot hai bhaari.
Zakhm ab bhi hara hai sarkari.
Dhande chaupat to rozgar nahiN.
Do baras ki hui ye bimaari.
Kalaam : Masood Baig Tishna

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