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## बजट घोटाला ##
## मसूद बेग तिश्ना ##
यह तो लगता है घोटालों का बजट.
यह सेहत बीमा के जालों का बजट.
झुंजुना बीमा का बीमारी नहीं.
क्या बजट बीमा से खुद भारी नहीं.
मेंहगा होगा बीमा मेंहगा अस्पताल.
ये फलेंगे और खज़ाना खस्ता हाल.
हम सेहत बीमा का धोका खाएंगे.
कॉर्पोरेट सब फाएदा ले जाएंगे.
क्यों नहीं लागत घटाने के उपाय.
कृषि संसाधन बढ़ाने के उपाय.
ख़ुद कुशी है फिर किसानों का नसीब.
यह सियासत जिस पे चलती है अजीब.
फॉर्मूला जो था एम एस पी का बना.
केंद्र अब उस फ़ॉर्मूले से हट गया.
लागू करने स्वामीनाथन की रिपोर्ट.
आ गया सरकार की नीयत में खोट.
खर्च के सामर्थ्य से जिनके ये सब.
वो ही मध्यम वर्ग है सकते में अब.
ये वही एट सोर्स जिसका टैक्स है.
वो ही ज़्यादा देता कब रिलैक्स है.
नोट बन्दी से मरे व्यापार उद्योग.
लग गया उनको डिजिटल का ये रोग.
रोज़ी पक्की लेबर इन्सेंटिव में दो.
फॉर्मल सेक्टर में ऐसा काम हो.
धीरे धीरे ही नई टेक्नीक दो.
रोज़गर उपजे वही टेक्नीक दो.
बुनियादी शिक्षा का ढांचा है खराब.
इसके पीछे रखते कुछ खर्च का हिसाब.
झटके में स्किल डेवलप हो गई.
रेज़गारी रोज़गारी खो गई.
झटकों से ये संतुलन बनता नहीं.
झटके देकर राष्ट्र भी चलता नहीं.
ये अठारह का ना बाईस का बजट.
मेंहगे जीवन की प्राइस का बजट.
लूट की है छूट कॉर्पोरेटी खुली.
कब है ये सरकार भी दूध की धुली.
ये भ्रष्टाचार डिजिटल हो गया.
अपना हिंदुस्तान धुंद में खो गया.
## बजट घोटाला ##
## मसूद बेग तिश्ना ##
यह तो लगता है घोटालों का बजट.
यह सेहत बीमा के जालों का बजट.
झुंजुना बीमा का बीमारी नहीं.
क्या बजट बीमा से खुद भारी नहीं.
मेंहगा होगा बीमा मेंहगा अस्पताल.
ये फलेंगे और खज़ाना खस्ता हाल.
हम सेहत बीमा का धोका खाएंगे.
कॉर्पोरेट सब फाएदा ले जाएंगे.
क्यों नहीं लागत घटाने के उपाय.
कृषि संसाधन बढ़ाने के उपाय.
ख़ुद कुशी है फिर किसानों का नसीब.
यह सियासत जिस पे चलती है अजीब.
फॉर्मूला जो था एम एस पी का बना.
केंद्र अब उस फ़ॉर्मूले से हट गया.
लागू करने स्वामीनाथन की रिपोर्ट.
आ गया सरकार की नीयत में खोट.
खर्च के सामर्थ्य से जिनके ये सब.
वो ही मध्यम वर्ग है सकते में अब.
ये वही एट सोर्स जिसका टैक्स है.
वो ही ज़्यादा देता कब रिलैक्स है.
नोट बन्दी से मरे व्यापार उद्योग.
लग गया उनको डिजिटल का ये रोग.
रोज़ी पक्की लेबर इन्सेंटिव में दो.
फॉर्मल सेक्टर में ऐसा काम हो.
धीरे धीरे ही नई टेक्नीक दो.
रोज़गर उपजे वही टेक्नीक दो.
बुनियादी शिक्षा का ढांचा है खराब.
इसके पीछे रखते कुछ खर्च का हिसाब.
झटके में स्किल डेवलप हो गई.
रेज़गारी रोज़गारी खो गई.
झटकों से ये संतुलन बनता नहीं.
झटके देकर राष्ट्र भी चलता नहीं.
ये अठारह का ना बाईस का बजट.
मेंहगे जीवन की प्राइस का बजट.
लूट की है छूट कॉर्पोरेटी खुली.
कब है ये सरकार भी दूध की धुली.
ये भ्रष्टाचार डिजिटल हो गया.
अपना हिंदुस्तान धुंद में खो गया.
Wah wah wah satye wachan
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