Sunday, January 26, 2020

Tabahi तबाही تباہی

:: تباہی ::
موت ہے اس خبر کے پردے میں
شہریت کی نظر کے پردے میں
دِکھ رہا ہے تباہی کا منظر
نفرتوں کے اثر کے پردے میں
کلام : مسعود بیگ تشنہ

Jashne Jamhuriyat जश्ने जम्हूरिय्यत جشنِ جمہوریت

:: جشنِ جمہوریت ::
نیند نہ آئی بیتی رات
غم میں بھیگی بیتی رات
جشنِ جمہوریت کیسے ہو
سوچ رہی تھی بیتی رات
کلام : مسعود بیگ تشنہ 

Shahriyat शहरियत شہریت

:: شہریت ::
شہریت خطرے میں ہے جمہوریت خطرے میں ہے
تخریبیت کا دور ہے تعمیریت خطرے میں ہے
 مذہبی تفریق کی گندی سیاست کا عروج
نفرتوں کے دور میں انسانیت خطرے میں ہے
مسعود بیگ تشنہ

Jamhuriyat Ki Nao जम्हूरिय्यत की नाव جمہوریت کی ناؤ


:: جمہوریت کی ناؤ ::
ظلمت کی تیز رو میں نظر ڈوبنے لگے
جب شہریت کی لہر میں گھر ڈوبنے لگے
کبتک کنارا کیجئے کب تک نگاہ بند
جمہوریت کی ناؤ اگر ڈوبنے لگے
کلام : مسعود بیگ تشنہ

Wednesday, January 15, 2020

Izhaare Tahniyat इज़्हारे तहनीयत اظہارِ تہنیت

:: इज़्हारे तहनीयत ::
( बशरफ़ेनिगाह प्रोफ़ेसर चंद्र प्रकाश शर्मा साहब जिन का रिटायर्मेंट तारीख़ 31 जनवरी 2020 को है. बहस्बे इर्शाद जनाब ग़ुलाम अब्बास रंग वाला साहब )
बड़ नेक हैं और मिलनसार हैं
बड़ जिंदा दिल और मददगार हैं
हैं हमदर्द गाइड और मुशफ़िक़ गुरू
हैं शागिर्द फैले हुए चार सू
हैं उस्ताद अच्छे सिखाते हैं ख़ूब
हुनर आप के याद आते हैं ख़ूब
आउटडोर भी ख़ूब जाते हैं आप
डॉक्यूमेंट्री भी बनाते हैं आप
ख़तरा पसंद आपकी ज़ात है
ख़तरों से होती मुलाक़ात है
रिटायर्ड हुए हैं ये टायर्ड नहीं
कहीं से भी ये लगते टायर्ड नहीं
सभी के प्यारे रहे आज तक
प्रोफ़ेसरी ये जिये आज तक
हमें नाज़ है आप की ज़ात पर
नहीं क़ाबू है आज जज़्बात पर
हमें मार्गदर्शन हमेशा मिले
रौशन हमारा ये जीवन रहे
रहें आप सुखी व सलामत सदा
महकती रहे ये मोहब्बत सदा
कलाम : मसूद बेग तिश्ना




Tuesday, January 7, 2020

Gunda Raj ग़ुंडा राज غنڈہ راج

:: ग़ुंडा राज ::
ग़ुंडों का राज है ये कमीनों का राज है
सावरकरों का और रज़ीलों का राज है
अफ़सोस! देश नानक ओ गांधी का अब नहीं
छुट्टे रहे हैं घूम ये सांडों का राज है
कलाम : मसूद बेग तिश्ना
:: Gunda Raj ::
GundoN ka raj hai ye kaminoN ka raj hai
SawarkaroN ka aur raziloN ka raj hai
Afsos! Desh Nanak o Gandhi ka ab nahiN
Chhut'te rahe haiN ghoom ye saaNdoN ka raj hai
Kalaam : Masood Baig Tishna
:: غنڈہ راج ::
غنڈوں کا راج ہے یہ کمینوں کا راج ہے
ساورکروں کا اور رذیلوں کا راج ہے
افسوس دیش نانک و گاندھی کا اب نہیں
چُھٹّے رہے ہیں گھوم یہ سانڈوں کا راج ہے
کلام : مسعود بیگ تشنہ

BalaaoN Ki Balaa बलाओं की बला بلاؤں کی بلا

:: बलाओं की बला ::
बलाओं की बला और आफ़तों की लाख आफ़त है
सभी के सर पे जो लादी गई है वो मुसीबत है
नहीं देगी किसी का साथ "तिश्ना" ये हक़ीक़त है
ये ग़ुंडों की हुकूमत है ये ग़ुंडों की हुकूमत है
कलाम : मसूद बेग तिश्ना
:: BalaaoN Ki Balaa ::
BalaaoN ki balaa aur aafatoN ki lakh aafat hai
Sabhi ke sar pe jo laadi gayi hai wo musibat hai
NahiN degi kisi ka saath "Tishna" ye haqiqat hai
Ye gundoN ki Hukumat hai ye gundoN ki Hukumat hai
Kalaam : Masood Baig Tishna
::بلاؤں کی بلا ::
بلاؤں کی بلا اور آفتوں کی لاکھ آفت ہے
سبھی کے سر پہ جو لادی گئی ہے وہ مصیبت ہے
نہیں دیگی کسی کا ساتھ "تشنہ" یہ حقیقت ہے
یہ غنڈوں کی حکومت ہے یہ غنڈوں کی حکومت ہے
کلام : مسعود بیگ تشنہ

Monday, January 6, 2020

Qata क़ता قطعہ

:: Qata ::
In afsurda se chehroN par pahli si muskaan kahaaN
Jis dharti pe rahte aaye ab waaN bhi sammaan kahaaN
Aab o hawa badli aisi keh jaise ham sautele hoN
Rehne jeene ka haq baatil ab saaNsoN meiN jaan kahaaN
Kalaam : Masood Baig Tishna ki
:: क़ता ::
इन अफ़सुर्दा से चेहरों पर पहले सी मुस्कान कहां
जिस धरती पे रहते आए अब वां भी सम्मान कहां
आबो हवा बदली ऐसी  केह जैसे हम सौतेले हों
रहने जीने  का हक़ बातिल अब सांसों में जान कहां
कलाम : मसूद बेग तिश्ना
:: قطعہ ::
ان افسردہ سے چہروں پہ پہلی سی مسکان کہاں
جس دھرتی پر رہتے آئے اب واں بھی سمّان کہاں
آب و ہوا بدلی ایسی کہ جیسے ہم سوتیلے ہوں
 رہنے جینے کا حق باطل اب سانسوں میں جان کہاں
کلام : مسعود بیگ تشنہ


Sunday, January 5, 2020

Jab जब جب


:: जब ::
जब देश की दानिश गाहों में
पुलिस को बुलाया जाएगा
गुंडों से पिटाया जाएगा
डंडों से भगाया जाएगा
जब देश की दानिश गाहों में
आवाज़ दबाई जाएगी
और फोर्स बुलाई जाएगी
और मार लगाई जाएगी
जब देश की दानिश गाहों को
चीखों से सजाया जाएगा
ज़ख्मों से सजाया जाएगा
आहों से सजाया जाएगा
इन देश की दानिश गाहों में
तब ज़ब्त का आलम क्या होगा?
तब सब्र का आलम क्या होगा?
तब दर्द का आलम क्या होगा?
कलाम : मसूद बेग तिश्ना
:: Jab ::
Jab desh ki daaanish gaahoN meiN
Police ko bulaya jayega
GundoN se pitaya jayega
DandoN se bhagaya jayega
 Jab desh ki daanish gaahoN meiN
Aawaaz dabayi jayegi
Aur force bulayi jayegi
Aur maar lagayi jayegi
Jab desh ki daanish gaahoN ko
CheekhoN se sajaya jayega
ZakhmoN se sajaya jayega
AahoN se sajaya jayega
In desh ki daanish gaahoN meiN
Tab zabt ka aalam kia hoga?
Tab sabr ka aalam kia hoga?
Tab dard ka aalam kia hoga?
Kalaam : Masood Baig Tishna
:: جب ::
جب دیش کی دانش گاہوں میں
پولس کو بلایا جائے گا
غنڈوں سے پِٹایا جائے گا
ڈنڈوں سے بھگایا جائے گا
جب دیش کی دانش گاہوں میں
آواز دبائی جائے گی
اور فورس بلائی جائے گی
اور مار لگائی جائے گی
جب دیش کی دانش گاہوں کو
چیخوں سے سجایا جائے گا
زخموں سے سجایا جائے گا
آہوں سے سجایا جائے گا
ان دیش کی دانش گاہوں میں
تب ضبط کا عالم کیا ہوگا؟
تب صبر کا عالم کیا ہوگا؟
تب درد کا عالم کیا ہوگا؟
کلام : مسعود بیگ تشنہ


Saturday, January 4, 2020

Haq Ki Jaanch हक़ की जांच حق کی جانچ

:: حق کی جانچ ::
(روحِ فیض احمد فیض سے معذرت کے ساتھ)
اک علم کی دانش گاہ سے یہاں
جب سرمدی نغمہ گونج اٹھا
'ہم دیکھینگے ہم دیکھینگے'
ہر حرفِ صداقت پھیل گیا
جب گرم لہو کے چھینٹوں سے
ہر حرفِ بغاوت پھیل گیا
گھبرا کے اُٹِھیں کالی روحیں
وہ بھٹکی ہوئی ساری روحیں
مذہب کا رائتہ بھر ڈالا
ہنگامہ بپا اک کر ڈالا
بس بس کی لگائیں آوازیں
تہمت کی لگائیں آوازیں
اب یہ نہ چلیگا کے نعرے
اب وہ نہ چلیگا کے نعرے
جب ضرب لگائی جائے گی
جب جانچ بٹھائی جائے گی
دانش کا جنازہ نکلیگا
حق پارہ پارہ نکلیگا
جب فیض کی نظم کے ظاہر سے
 من چاہا پِٹارہ نکلیگا
جب فیض کی نظم کے باطن سے
حق پارہ پارہ نکلیگا
جب ضرب لگائی جائے گی
 جب جانچ بٹھائی جائے گی
دانش کا جنازہ نکلیگا
حق پارہ پارہ نکلیگا
حق پارہ پارہ نکلیگا
کلام : مسعود بیگ تشنہ
:: हक़ की जांच ::
(रूहे फैज़ एहमद फैज़ से मोज़िरत के साथ)
एक इल्म की दानिशगाह से यहां
जब सर्मदी नग़मा गूंज उठा
'हम देखेंगे हम देखेंगे'
हर हर्फ़े सदाक़त फैल गया
जब गर्म लहू के छींटों से
हर हर्फ़े बग़ावत फैल गया
घबरा के उठीं काली रूहें
वो भटकी हुईं सारी रूहें
मज़हब का राएता भर डाला
हंगामा बपा एक कर डाला
बस बस की लगाईं आवाज़ें
तोह्मत की लगाई आवाज़ें
अब ये न चलेगा के नारे
अब वो न चलेगा के नारे
जब ज़र्ब लगाई जाएगी
जब जांच बिठाई जाएगी
दानिश का जनाज़ा निकलेगा
 हक़ पारा पारा निकलेगा
जब फैज़ की नज़्म के ज़ाहिर से
मन चाहा पिटारा निकलेगा
जब फैज़ की नज़्म के बातिन से
हक़ पारा पारा निकलेगा
जब ज़र्ब लगाई जाएगी
जब जांच बिठाई जाएगी
दानिश का जनाज़ा निकलेगा
हक़ पारा पारा निकलेगा
हक़ पारा पारा निकलेगा
कलाम : मसूद बेग तिश्ना

Friday, January 3, 2020

Ham Badlenge हम बदलेंगे ہم بدلینگے

::  ہم بدلینگے ::
یہ خوف کے منظر بدلینگے
یہ ظلم کے دفتر بدلینگے
یہ بادل آگ لگائینگے
یہ دشت و سمندر بدلینگے
گر وقت نہیں اب بدلیگا
پھر وقت انہیں کب بدلیگا
کیا کہتے ہو رب بدلیگا
ہم بدلینگے سب بدلیگا
یہ خوف کے منظر بدلینگے
یہ ظلم کے دفتر بدلینگے
یہ دشت و سمندر بدلینگے
ہم بدلینگے سب بدلیگا
ہم بدلینگے سب بدلیگا
کلام : مسعود بیگ تشنہ
:: हम बदलेंगे ::
ये ख़ौफ़ के मंज़र बदलेंगे
ये ज़ुल्म के दफ़्तर बदलेंगे
ये बादल आग लगाएंगे
ये दश्त ओ समंदर बदलेंगे
गर वक़्त नहीं अब बदलेगा
फिर वक़्त उन्हें कब बदलेगा
क्या कहते हो रब बदलेगा
हम बदलेंगे सब बदलेगा
ये ख़ौफ़ के मंज़र बदलेंगे
ये ज़ुल्म के दफ़्तर बदलेंगे
ये दश्त ओ समंदर बदलेंगे
हम बदलेंगे सब बदलेगा
हम बदलेंगे सब बदलेगा
कलाम : मसूद बेग तिश्ना
:: Ham Badlenge ::
Ye khauf ke manzar badlenge
Ye zulm ke daftar badlenge
Ye baadal aag lagaaenge
Ye dasht o samandar badlenge
Gar waqt nahin ab badlega
Phir waqt unheN kab badlega
Kya kehte ho Rab badlega
Ham badlenge sab badlega
Ye khauf ke manzar badlenge
Ye zulm ke daftar badlenge
Ye dasht o samandar badlenge
Ham badlenge sab badlega
Ham badlenge sab badlega
Kalaam : Masood Baig Tishna

Raakshasi Jeet राक्षसी जीत راکشسی جیت

::: Raakshasi Jeet राक्षसी जीत راکشسی جیت :::
:: راکشسی جیت :
چولا بدلا ،راکشسوں کی جیت ہوئی
دنیا سمجھی نیک جَنوں کی جیت ہوئی
سارے مُنافِق اپنے بُتوں کے ساتھ ہوئے
! ہار کا منظر دیکھ  بُتوں کی جیت ہوئی
کلام : مسعود بیگ تشنہ
:: राक्षसी जीत ::
चोला बदला, राक्षसों की जीत हुई
दुनिया समझी नेक जनों की जीत हुई
सारे मुनाफ़िक़ अपने बुतों के साथ हुए
हार का मंज़र देख बुतों की जीत हुई!
कलाम : मसूद बेग तिश्ना

Thursday, January 2, 2020

Sarkari Bandar सरकारी बंदर سرکاری بندر

:: سرکاری بندر ::
ہوٗا ہے یہ حکم جاری کہ جو کہینگے وہی ہے کرنا حکومتوں نے سبھی پدوں پہ نقلچی بندر بٹھا دیے ہیں
لگا کے نفرت کی آگ تشنہ سنا رہے برتری کا نغمہ
حکومتوں نے جگہ جگہ پر طبلچی بندر بٹھا دیے ہیں
کلام : مسعود بیگ تشنہ
:: सरकारी बंदर ::
हुआ है ये हुक्म जारी के जो कहेंगे वही है करना
हुकूमतों ने सभी पदों पर नक़लची बंदर बिठा दिये हैं
लगा के नफ़रत की आग "तिश्ना" सुना रहे बर्तरी का नग़मा
हुकूमतों ने जगह जगह पर तबलची बंदर बिठा दिये हैं
कलाम : मसूद बेग तिश्ना

Wednesday, January 1, 2020

Ghazal ग़ज़ल غزل

::غزل ::
خدا سمجھے اسے، ظالم بنا ہے
ہمارا آپ کا حافظ خدا ہے 
بدلتے موسموں کی رنجشیں ہیں 
کہاں یہ حادثہ کوئی نیا ہے 
ہواؤں کی طرف دیکھو تو جانیں 
بدلتے موسموں کا سامنا ہے 
بدل دو یہ نظامِ ظلم و نفرت 
اگر انسانیت میں آستھا ہے 
محافظ نے ہی چنگاری لگائی 
کہیں نفرت سے کوئی گھر جلا ہے 
نگل لے گا وہ شعلوں کو سمجھ لے 
 دھواں سا جو ابھی دل میں اُٹھا ہے
اُسی کی سب ہے گردش اور حکمت 
وہی "تشنہ" ہے جو سب سے سَوا ہے
کلام : مسعود بیگ تشنہ
:: ग़ज़ल ::
ख़ुदा समझे उसे, ज़ालिम बना है
हमारा आप का हाफ़िज़ ख़ुदा है
बदलते मौसमों की रंजिशें हैं 
कहां ये हादसा कोई नया है 
हवाओं की तरफ़ देखो तो जानें 
बदलते मौसमों का सामना है 
बदल दो ये निज़ामे ज़ुल्म ओ नफ़रत 
अगर इंसानीयत में आस्था है
मुहाफ़िज़ ने ही चिंगारी लगाई
कहीं नफ़रत से कोई घर जला है 
निगल लेगा वो शोलों को समझ ले 
धुआं सा जो मेरे दिल में उठा है
उसी की सब है गर्दिश और हिकमत 
वही "तिश्ना" है जो सब से सवा है
कलाम : मसूद बेग तिश्ना