Monday, March 18, 2019

GHAZAL غزل ग़ज़ल

:: غزل ::
دلی کدورت نکال دو تم
یہ نسلی نفرت نکال دو تم
بناؤ دنیا کو سب کی جنت
یہ اپنی جنت نکال دو تم
نہتوں پر تم نہ آزماؤ
ہوا میں طاقت نکال دو تم
یہ تنگ کرنا، یہ ظلم ڈھانا
پرانی خصلت نکال دو تم
کرو تو بس ہوش کی ہی باتیں
جُنوں کی عادت نکال دو تم
یہ نسل و رنگت خدا کی قدرت
رنگ  فضیلت نکال دو تم
خدائی جنت بناؤ تشنہ
خیالی جنت نکال دو تم
کلام : مسعود بیگ تشنہ
:: ग़ज़ल ::
दिली कदूरत निकाल दो तुम
ये नस्ली नफरत निकाल दो तुम
 बनाओ दुनिया को सब की जन्नत
ये अपनी जन्नत निकाल दो तुम
निहत्तों पर तुम न आज़माओ
हवा में ताक़त निकाल दो तुम
ये तंग करना, ये ज़ुल्‍म ढाना
पुरानी खसलत निकाल दो तुम
करो तो बस होश की ही बातें
जुनूं की आदत निकाल दो तुम
ये नस्ल ओ रंगत ख़ुदा की कुदरत
रंग ए फज़ीलत निकाल दो तुम
खुदाई जन्नत बनाओ "तिश्ना"
खियालीjजन्नत निकाल दो तुम
कलाम : मसूद बेग तिश्ना
:: Ghazal ::
Dili kadurat nikaal do tum
Ye nasli nafrat nikaal do tum
Banaao duniya ko sab ki jannat
Ye apni jannat nikaal do tum
NihattoN par tum na aazmao
Hawa meiN taaqat nikaal do tum
Ye taNg karna, ye zulm dhaana
Purani khaslat nikaal do tum
Karo to bas hosh ki hi baateN
JunooN ki aadat nikaal do tum
Ye nasl o raNgat khuda ki qudrat
RaNg e fazilat nikaal do tum
Khudaa'i jannat banaao "Tishna"
Khiyali jannat nikaal do tum
Kalaam : Masood Baig Tishna


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