जल ,जंगल और क़ुदरत [पर्यावरण संरक्षण पर विशेष नज़्म ]..... कलाम : मसूद बेग `तिश्ना ',इंदौर ,इंडिया
भाती है सब को हरियाली।
क्यों ना हो उस की रखवाली।
पौदे ,पेड़ लगाएंगे हम।
बच्चों सा अपनाएंगे हम।
हरियाली राज करेगी भाई।
प्यारी दूब सजेगी भाई।
गन्दी गैस का नास करेंगे।
हरियाली का वास करेंगे।
पौधे बढ़ कर पेड़ बनेंगे।
पेड़ बचें ,जंगल भी बचेंगे
सेहरा ,जंगल और पहाड़।
बारिश ,बादल और पहाड़।
प्रकर्ति जब सच्ची होगी।
आब ओ हवा भी अच्छी होगी।
साफ़ हवा में जीने का हक़।
सब को पानी पीने का हक़।
कर दो सच्चा अब ये सपना।
धरती का अब कम हो तपना।
क़ुदरत के साए में जीना।
क़ुदरत के साए में मरना।
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