Saturday, January 1, 2022

Tasteer तस्तीर ‎تسطیر ‏

تسطیر بر شعر راحت اندوری :
میں جب مر جاؤں تو میری الگ پہچان لکھ دینا
لہو سے میری پیشانی پہ ہندوستان لکھ دینا
(راحت اندوری) 
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:: تسطیر ::
(نذرِ راحت اندوری) 
میں جب مر جاؤں تو میری الگ پہچان لکھ دینا
بِناء پہچان کا شہری ہوں یہ عنوان لکھ دینا
میں غلطی سے مسلماں ہوں اسی مٹّی کا پُتلا ہوں
یہیں اجداد مٹّی میں ملے ، یہ شان لکھ دینا
لہو میں دوڑتا پھرتا رہا میرے، وطن ہر دم 
لہو سے میری پیشانی پہ ہندوستان لکھ دینا
تسطیر نتیجۂ فکر : مسعود بیگ تشنہ
12 اگست 2020 ،اِندور ،انڈیا

तस्तीर बर शेर राहत इंदौरी :
मैं जब मर जाऊं तो मेरी अलग पहचान लिख देना
लहू से मेरी पेशानी पे हिंदुस्तान लिख देना
(राहत इंदौरी)
:: तस्तीर ::
(नज़्रे राहत इंदौरी) 
मैं जब मर जाऊं तो मेरी अलग पहचान लिख देना
बिना पहचान का शहरी हूं ये उनवान लिख देना
मैं ग़लती से मुसलमां हूं, इसी मिट्टी का पुतला हूं 
यहीं अजदाद मिट्टी में मिले, ये शान लिख देना 
लहू में दौड़ता फिरता रहा मेरे, वतन हर दम
लहू से मेरी पेशानी पे हिंदुस्तान लिख देना
तस्तीर : नतीजा-ए-फ़िक्र मसूद बेग तिश्ना
20 अगस्त 2020, इंदौर, इंडिया 

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