Monday, December 30, 2019

Naya Saal 2020 نیا سال 2020 नया साल 2020

:: نیا سال 2020 ::
نہ مُنافَرت کا عروج ہو نہ محبتوں کا زوال ہو
نہ ہو جبریہ کوئی بے دخل نہی شہریت کا سوال ہو
نہ لگاؤ آگ یوں خواہ مخواہ نہ کسی کی جان لو بے وجہ
نہ نظریہ تھوپو یوں جبریہ نہ کسی کا جینا محال ہو
نہ کسی سے کوئی ہو بد گماں نہ کسی طرح کا فساد ہو
نہ دکھائے کوئی کسی کو آنکھ نہ کسی کا دیدہ ہی لال ہو
نہ کسی کا حق کوئی چھین لے نہ کسی پہ تنگ ہو زندگی
نہ ہوں روز روز کی رنجشیں نہی روز روز وبال ہو
جو کبھی کبھی تھی مُنافَقت کُھلے عام اب ہے مُنافَرت
جو شرارتوں میں ہیں لگے ہوئے اُنہی حاسدوں کا زوال ہو
نہ بنائیں دنیا میں دوزخیں نہ یہاں کسی کو عذاب ہو
ہمیں رچنا ہیں نئی جنّتیں جہاں عاشقی ہو جمال ہو
میری یہ زمیں میرا آسماں میرا گھر ہے میرا ہندوستاں
یہیں جینا مرنا ہے تشنہ جی یہیں زندگی ہو وصال ہو
کلام : مسعود بیگ تشنہ
:: नया साल 2020 ::
न मुनाफ़रत का उरूज हो न मोहब्बतों का ज़वाल हो
न हो जब्रिया कोई बे दख़ल न ही शहरियत का सवाल हो
न लगाओ आग यूं ख़्वाह मख़्वाह न किसी की जान लो बेवजह
न नज़रिया थोपो यूं जब्रिया न किसी का जीना मुहाल हो
न किसी से कोई हो बदगुमां न किसी तरह का फ़साद हो
न दिखाए कोई किसी को आंख न किसी का दीदा ही लाल हो
न किसी का हक़ कोई छीन ले न किसी पे तंग हो ज़िंदगी
न हों रोज़ रोज़ की रंजिशें न ही रोज़ रोज़ वबाल हो
जो कभी कभी थी मुनाफ़क़त खुले आम अब है मुनाफ़रत
जो शरारतों में हैं लगे हुए उन्ही हासिदों का ज़वाल हो
न बनाएं दुनिया में दोज़ख़ें न यहां किसी को अज़ाब हो
हमें रचना हैं नई जन्नतें जहां आशिक़ी हो जमाल हो
मेरी ये ज़मीं मेरा आस्मां मेर घर है मेरा हिंदोस्ताँ
यहीं जीना मरना है "तिश्ना" जी यहीं ज़िंदगी हो विसाल हो
कलाम : मसूद बेग तिश्ना









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