Sunday, December 30, 2018

Woh! وہ! वोह!

:: وہ ::
وہی تو ہے جو میری زندگی میں رہتی ہے٠
میرے وجود کی تنہا دُھری میں رہتی ہے ٠
عذاب دیتا ہوں ناآشنائی کا اُس کو ٠
وہ میری آشنا بن کر مجھی میں رہتی ہے ٠
میں اُس کی ذات سے بے پرواہ اپنے محور پر ٠
بُجھی بُجھی سی وہ اپنی ہنسی میں رہتی ہے ٠
وہ تب بھی سوچتی ہے مجھ کو تب بھی سوچتی ہے ٠
خدا کے سامنے جب عاجزی میں رہتی ہے ٠
وہ بےغرض ہے شریکِ حیات ہے "تشنہ" ٠
 نبھی نہ مجھ سے اُسی دوستی میں رہتی ہے٠
کلام : مسعود بیگ تشنہ
:: वोह ::
वही तो है जो मेरी ज़िन्दगी में रहती है.
मेरे वुजूद की तन्हा धुरी में रहती है.
अज़ाब देता हूं नाआशनाई का उस को.
वो मेरी आशना बन कर मुझी में रहती है.
मैं उसकी ज़ात से बे परवाह अपने मेहवर पर.
बुझी बुझी सी वो अपनी हंसी में रहती है.
वोह तब भी सोचती है मुझ को तब भी सोचती है.
ख़ुदा के सामने जब आजिज़ी में रहती है.
वोह बे गरज़ है, शरीक ए हयात है मेरी.
निभी न मुझ से उसी दोस्ती में रहती है.
कलाम : मसूद बेग तिश्ना
:: Woh ::
Wohi to hai jo meri zindagi meiN rehti hai.
Mere wujood ki tanha dhuri meiN rehti hai.
Azaab deta huN na aashanaai ka usko.
Woh meri aashana ban kar mujhi meiN rehti hai.
MaiN uski zaat se be parwa apne mehwar par.
Bujhi bujhi si woh apni hansi meiN rehti hai.
Woh tab bhi sochti hai mujh ko tab bhi sochti hai.
Khuda ke saamne jab aajizi meiN rehti hai.
Woh be - gharaz hai, shareek e hayaat hai "Tishna".
Nibhi na mujh se usi dosti meiN rehti hai.
Kalaam : Masood Baig Tishna

Thursday, December 27, 2018

Aah! Hamidi Kashmiri آہ! حامدی کاشمیری आह! हामिदी काश्मीरी

:: آہ! حامدی کاشمیری ::
حامدی تھے کاشمیری شاعر گلگوں جناب ٠
اکتشافی نقد کے موجد بھی، سنجیدہ خطاب ٠
زعفرانی رنگ مٹی میں سپرد خاک آج ٠
سو گیا کشمیر کی وادی کا روشن ماہتاب ٠
گلہائے عقیدت : مسعود بیگ تشنہ برہانپوری ،اندور
:: Aah! Hamidi Kashmiri ::
Hamidi the kashmiri shair e gulgooN janab.
Ikteshafi naqd ke mujid bhi, sanjida khitab
Zafrani raNg mitti meiN sapurd e khak aaj.
So gaya kashmir ki wadi ka raushan mahtab.
Gulhaye aqidat : Masood Baig Tishna,Indore
:: आह! हामिदी काश्मीरी ::
हामिदी थे काश्मीरी शाइर ए गुलगूं जनाब.
एक्तिशाफ़ी नक़्द के मूजिद भी, संजीदा खिताब.
ज़ाफ़्रानी रंग मिट्टी में सपुर्द ए खाक आज.
सो गया कश्मीर की वादी का रौशन माहताब.
गुल हाए अक़ीदत :मसूद बेग तिश्ना, इंदौर 

Wednesday, December 12, 2018

Naii Raushani نئی روشنی नई रौशनी

:: نئی روشنی ::
ہے نظر کے سامنے اب نئی صبح کا سویرا ٠
کہیں بد نظر نہ ڈالے برے وقت کا اندھیرا ٠
چلو مل کے بانٹتے ہیں نئی روشنی کو "تشنہ" ٠
یہ اجالا ہے سبھی کا نہیں ہے یہ تیرا میرا ٠
کلام : مسعود بیگ تشنہ
:: Naii raushani ::
Hai nazar ke saamne ab naii sub'h ka savera.
KaheiN bad nazar na daale bure waqt ka andhera.
Chalo mil ke baaNt'te haiN naii raushani ko "Tishna".
Ye ujaala hai sabhi ka, ye naheiN hai tera mera.
Kalaam : Masood Baig Tishna
:: नई रोशनी ::
है नज़र के सामने अब नई सुब्ह का सवेरा.
कहीं बद नज़र न डाले बुरे वक़्त का अंधेरा.
चलो मिल के बांटते हैं नई रौशनी को "तिश्ना".
ये उजाला है सभी का नहीं है ये तेरा मेरा.
कलाम : मसूद बेग तिश्ना

Tuesday, December 11, 2018

Badlao Ki Lahar بدلاؤ کی لہر बदलाव की लहर


:: بدلاؤ کی لہر ::
لہر چلی ہے، لہر چلی ہے، بدلاؤ کی لہر چلی ہے ٠
جھوٹ فریب کے دن گنتی کے،  سدبھاؤ کی لہر چلی ہے ٠
جملہ بازی، نفرت سازی ، بھیڑ کی ہنسا کو آزادی ٠
اوچھے داؤ پڑے اب الٹے ، سیدھے داؤ کی لہر چلی ہے ٠
کلام : مسعود بیگ تشنہ
:: बदलाव की लहर ::
लहर चली है, लहर चली है, बदलाव की लहर चली है.
झूठ फ़रेब के दिन गिनती के, अब सद्भाव की लहर चली है.
जुमला बाज़ी, नफ़रत साज़ी , भीड़ की हिंसा को आज़ादी.
ओछे दाव पड़े अब उल्टे, सीधे दाव की लहर चली है.
कलाम : मसूद बेग तिश्ना
:: Badlao ki lahar ::
Lahar chali hai, lahar chali hai, badlao ki lahar chali hai.
Jhoot fareb ke din ginti ke, sadbhao ki lahar chali hai.
Jumla bazi, nafrat saazi ,  bheed ki hinsa ko azaadi.
Ochhe dao pade ab ulte , seedhe dao ki lahar chali hai.
Kalaam : Masood Baig Tishna


Monday, December 10, 2018

Fikr o Wijdaan فکر و وجدان फ़िक्र ओ विजदान

:: فکر و وجدان ::
فکر کا عنصر جب بھی غالب ہوتا ہے ٠
وجدان بھی اپنی فکر کا طالب ہوتا ہے ٠
شاعر کی بھی روح مچلتی ہے "تشنہ" ٠
جذبہ بھی اک جان دو قالب ہوتا ہے ٠
کلام : مسعود بیگ تشنہ
:: फ़िक्र ओ विजदान ::
फ़िक्र का उन्सर जब भी ग़ालिब होता है.
विजदान भी अपनी फ़िक्र का तालिब होता है.
शाइर की भी रूह मचलती है "तिश्ना".
जज़्बा भी इक जान दो क़ालिब होता है.
कलाम : मसूद बेग तिश्ना
:: Fikr o wijdaan ::
Fikr ka unsar jab bhi ghaalib hota hai.
Wijdaan bhi apni fikr ka taalib hota hai.
Shair ki bhi rooh machalti hai "Tishna".
Jazba bhi ik jaan do qaalib hota hai.
Kalaam : Masood Baig Tishna 

Thursday, December 6, 2018

Muslim Dushmani مسلم دشمنی मुस्लिम दुश्मनी

::مسلم دشمنی ::
 یہ مسلم دشمنی رنگ لا رہی ہے ٠
سبودھ 1 جیسی بلی دی جارہی ہے ٠
یہ قاتل سوچ سرکاروں کی تشنہ ٠
اراجکتا 2 کا دمبھ پھیلا رہی ہے ٠
کلام : مسعود بیگ تشنہ
1: بلند شہر میں اراجک بھیڑ کا شکار شہید پولس افسر
2: انارکی
:: Muslim Dushmani ::
Ye muslim dushmani raNg la rahi hai.
Subodh1 jaisi bali di ja rahi hai.
Ye qaatil soch sarkaroN ki "Tishna".
Arakakta 2 ka dambh phaila rahi hai.
Kalaam : Masood Baig Tishna
1: Buland Shahar meiN arajak bheed ka shikar shaheed police officer
2: Anarchi
:: मुस्लिम दुश्मनी ::
ये मुस्लिम दुश्मनी रंग ला रही है.
सुबोध 1 जैसी बलि दी जा रही है.
ये क़ातिल सोच सरकारों की "तिश्ना".
अराजकता का दम्भ फैला रही है.
कलाम : मसूद बेग तिश्ना
1: बुलंद शहर में अराजक भीड़ का शिकार शहीद पुलिस अफसर सुबोध कुमार

Sunday, December 2, 2018

GHAZAL غزل ग़ज़ल

:: غزل ::
چناؤ کا وہ نشان لے گا ٠
یقین لے گا، گمان لے گا ٠
بتائے گا وقت آنے والا ٠
کون اپنے ہاتھوں کمان لے گا ٠
زمین بخشے نہ آسماں ہی ٠
جو ظلم بوئے گا جان لے گا ٠
شہید مسجد کرے یا لے لے ٠
ہے دم کسی میں اذان لے گا ٠
عدالتیں بھی انہی کی، منصف ٠
گواہ سے جھوٹا بیان لے گا ٠
کوئی سفارش نہ نقل کوئی ٠
اگر خدا امتحان لے گا ٠
ہو غرقِ دریا تو کیا تعجب ٠
فرعون موسیٰ کو مان لے گا ٠
اکٹھے ہوکر لڑے گا "تشنہ" ٠
جو بکھرا انسان ٹھان لے گا ٠
کلام : مسعود بیگ تشنہ
:: ग़ज़ल ::
चुनाव का वो निशान लेगा.
यक़ीन लेगा, गुमान लेगा.
बताएगा वक़्त आने वाला.
कौन अपने हाथों कमान लेगा.
ज़मीन  बख्शे न आसमां ही.
जो ज़ुल्‍म बोएगा, जान लेगा.
शहीद मस्जिद करे या ले ले.
है दम किसी में अज़ान लेगा.
अदालतें भी उन्ही की, मुंसिफ़.
गवाह से झूठा ब्यान लेगा.
कोई सिफारिश न नक़्ल कोई.
अगर ख़ुदा इम्तेहान लेगा.
हो गर्क़ ए दरिया तो क्या  तअज्जुब .
फ़िर्औन मूसा को मान लेगा.
 इकट्ठे होकर लड़ेगा "तिश्ना".
जो बिखरा इंसान ठान लेगा.
कलाम : मसूद बेग तिश्ना
:: Ghazal ::
Chunav ka voh nishaan lega.
Yaqeen lega, gumaan lega.
Bataaega waqt aane wala.
Kaun apne haathoN kamaan lega.
Zameen bakhshe na aasmaaN hi.
Jo Zulm boyega, jaan lega.
AdaalateN bhi unhi ki munsif.
Gawaah se Jhoota byaan lega.
Koi sifaarish na naql koi 
Agar khuda imtehaan lega.
Ho gharq e dariya to kya t'ajjub.
Firaun Musa ko maan lega.
Ikat'the ho kar ladega "Tishna".
Jo bikhra insaan thaan lega.
Kalaam : Masood Baig Tishna