लोकःतंत्र
लोक: तंत्र के रखवाले ही लोकः तंत्र के क़ातिल क्यों ?
काम काज संसद का सारा पतन की ओर हैं माइल क्यों ?
भेड़ों की यह भीड़ नहीं है जनता हिंदुस्तान की।
पार लगे ना देश की नैया , दूर हमारा साहिल क्यों ?
कलाम : मसूद बेग तिश्ना ,इंदौर ,इंडिया
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