Tuesday, January 24, 2017

LOKTANTRA

लोकःतंत्र  


लोक:  तंत्र    के  रखवाले ही लोकः तंत्र  के क़ातिल क्यों ?  
काम काज संसद का सारा पतन की ओर हैं माइल क्यों ? 
भेड़ों की  यह भीड़ नहीं है  जनता हिंदुस्तान की। 
 पार लगे  ना  देश की नैया , दूर हमारा साहिल क्यों ?   

  कलाम : मसूद बेग तिश्ना  ,इंदौर ,इंडिया 

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