PESHAWAR AB AUR NAHIN पेशावर अब और नहीं پیشاور اب اور نہیں
[पेशावर स्कूली हादसे के बाद ,दुनिया के बच्चों के नाम پیشاور سکولی حادثے کے بعد ،دنیا کے بچوں کے نام ]
ये सियासत है कि मज़हब है कि मक्कारी है। یہ سیاست ہے کہ مذہب ہے کہ مکّاری ہے
आज की सुब्ह ये ,बच्चों पे बहुत भारी है। آج کی صبح یہ بچوں پہ بہت بھاری ہے
लहू मासूमों का देता है दुहाई कि बहुत। لہو معصوموں کا دیتا ہے دہائی کہ بہت
हो गया ज़ुल्म ,बताओ ये क्या लाचारी है। ہو گیا ظلم،بتاؤ یہ کیا لاچاری ہے
ये है मज़हब की सियासत,कि सियासत का मज़हब।یہ ہے مذہب کی سیاست کہ سیاست کا مذہب
पाक ना पाक है क्यों?किस की ये तैयारी है। پاک نا پاک ہے کیوں ؟کس کی یہ تیاری ہے
बंद कर वाओ ये दह्शत का तमाशा वर्ना। بند کرواؤ یہ دہشت کا تماشہ ورنہ
पेशावर से किसी शहर की फिर बारी है। پیشاور سے کسی شہر کی پھر باری ہے
मुल्क ओ मज़हब की जो बुनियाद पे नफ़रत बोए। ملک و مذہب کی جو بنیاد پہ نفرت بوۓ
वोह है शैतान जिसे इंसान से बेज़ारी है। وہ ہے شیطاں جسے انسان سے بےزاری ہے
चैन से जीने का हक़ ले के रहो ऐ बच्चों!! چین سے جینے کا حق لے کے رہو اے بچوں
कल तुम्हारा है ,तुम्हारी ये ज़मीं सारी है। کل تمہارا ہے ،تمہاری یہ زمیں ساری ہے
शायर :मसूद बेग `तिश्ना `,इंदौर ,इंडिया شاعر :مسعود بیگ `تشنہ `،اندور ،انڈیا
तारीख़ :19 दिसम्बर ,2014 تاریخ :١٩ دسمبر ،٢٠١٤
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