لو راکھ ہوا، لو خاک ہوا
یہ جسم، جہاں سے پاک ہوا
آواز مگر لہرائے گی
یہ یگ یگ آگے جائے گی
یہ نغمے، گیت، بھجن غزلیں
یہ سُر، یہ تال، سجن غزلیں
ویران ،اداس ہیں کس خاطر
شمشان کے پاس ہیں کس خاطر
تہذیب و ثقافت کا پرچم
ایثار و محبت کا پرچم
اب کون یہاں پھیلائے گی؟
اب کون 'لتا' کہلائے گی؟
@مسعود بیگ تشنہ
7 فروری 2022 ،اِندور ،انڈیا
:: अब कौन 'लता' कहलाएगी? ::
लो राख हुआ, लो ख़ाक हुआ
ये जिस्म, जहाँ से पाक हुआ
आवाज़ मगर लहराएगी
ये युग युग आगे जाएगी
ये नग़मे, गीत, भजन, ग़ज़लें
ये सुर, ये ताल, सजन ग़ज़लें
वीरान, उदास हैं किस ख़ातिर?
श्मशान के पास हैं किस ख़ातिर?
तहज़ीब-ओ- सक़ाफ़त (1) का परचम
ईसार-ओ-मोहब्बत (2) का परचम
अब कौन यहां फैलाएगी?
अब कौन 'लता' कहलाएगी?
@मसूद बेग तिश्ना
7 फ़रवरी 2022, इंदौर
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