Friday, April 26, 2019

Dast- Basta दस्त- बस्ता دست بستہ

:: دست بستہ ::
دل گرفتہ بھی دل شکستہ بھی
ہم بھی اور مُلک خستہ بھی
عامریت کے بڑھتے تیز قدم
جمہوریت کہ دست بستہ بھی
کلام : مسعود بیگ تشنہ
:: दस्त- बस्ता ::
दिल गिरफ़्ता भी दिल शिकस्ता भी
हम भी और मुल्क ख़स्ता भी
आमिरिय्यत(ताना शाही) के बढ़ते तेज़ क़दम
जम्हूरिय्यत(लोक तंत्र) कि दसत- बस्ता(हाथ बांधे) भी
कलाम : मसूद बेग तिश्ना
:: Dast Basta ::
Dil girafta bhi dil shikasta bhi
Ham bhi aur mulk khasta bhi
Aamiriyyat(dictatorship) ke badhte tez qadam
Jamhurriyat(democracy) ke dast- basta(haath baandhe) bhi
Kalaam : Masood Baig Tishna


Koi Bataaye कोई बताए کوئی بتائے

:: کوئی بتائے ::
یہ دین دھرم کے جھگڑے یہ جاتیوں کا وبال
یہ اندھی بھیڑ کے ریلے یہ بھیڑیوں کا کمال
یہ ظلم و جبر کا تانڈو و یہ نیائے کا کال
یہ راج دھرم کہ ہے دھرمراجیوں کا دھمال
٠ ٠ ٠ کوئی بتائے مرے ہند کو ہوا کیا ہے
زبان بندی ہے ایسی کہ موت کا ڈر ہے
جہاں پہ سایا نہیں چھت نہیں یہ وہ گھر ہے
انا کی آگ میں جلتے ہوئے بُتان نفاق
نہ بت شکن ہے کوئی اور نہ کوئی آزر ہے
٠ ٠ ٠ کوئی بتائے مرے ہند کو ہوا کیا ہے
غریبی اتنی کہ چولہے بھی جل نہیں پاتے
رکھے سلنڈر بھی خالی بدل نہیں پاتے
جو آتم ہتیا پہ مجبور ہیں کسان ہیں وہ
رہن کے بوجھ تلے وہ سنبھل نہیں پاتے
٠ ٠ ٠ کوئی بتائے مرے ہند کو ہوا کیا ہے
چُھری بغل میں ہے لیکن زباں پہ رام بھی ہے
یہ ہنسا بھیڑ کی ہنسا جنہیں حرام بھی ہے
بھٹک گئے ہیں جوانان ہند صد افسوس
بےروزگار ہیں اور ریلیوں کا کام بھی ہے
٠ ٠ ٠ کوئی بتائے مرے ہند کو ہوا کیا ہے
عزیز جان کے ہمسائیگی میں رہتے تھے
ہم عید ہو یا دیوالی سلام کہتے تھے
جہاں تھا صبحِ بنارس، اودھ کی شام کا حُسن
کہ دھارے گنگ و جمن کے جہاں سے بہتے تھے
 ٠ ٠ ٠ کوئی بتائے مرے ہند کو ہوا کیا ہے
کلام : مسعود بیگ تشنہ
:: कोई बताए ::
ये दीन धर्म के झगड़े ये जातियों का वबाल
ये अंधी भीड़ के रेले ये भेड़ियों का कमाल
ये ज़ुल्‍म ओ जब्र का तांडव व ये न्याय का काल
ये राज धर्म कि है धर्म राजियों का धमाल
.... कोई बताए मेरे हिन्द को हुआ क्या है
ज़बान बंदी है ऐसी कि मौत का डर है
जहाँ पे साया नहीं छत नहीं ये वो घर है
अना 1 की आग में जलते हुए बुतान- ए- निफ़ाक़ 2
न बुत शिकन 3 है कोई और न कोई आज़र 4 है
.... कोई बताए मेरे हिन्द को हुआ क्या है
ग़रीबी इतनी कि चूल्हे भी जल नहीं पाते
रखे सिलिंडर भी खाली बदल नहीं पाते
जो आत्म हत्या पे मजबूर हैं किसान हैं वो
रहन के बोझ तले वो संभल नहीं पाते
.... कोई बताए मेरे हिन्द को हुआ क्या है
छुरी बगल में है लेकिन ज़बां पे राम भी है
ये हिंसा भीड़ की हिंसा जिन्हें हराम भी है
भटक गए हैं जवानान- ए- हिन्द सद अफ़सोस
बे रोज़गार हैं और रैलियों का काम भी है
.... कोई बताए मेरे हिन्द को हुआ क्या है
अज़ीज़ जान के हमसाएगी में रहते थे
हम ईद हो या दीवाली सलाम कहते थे
जहाँ था सुब्ह ए बनारस, अवध की शाम का हुस्न
कि धारे गंग ओ जमन के जहाँ पे बहते थे
.... कोई बताए मेरे हिन्द को हुआ क्या है
(1- अहम्, अहंकार 2- दोस्ती का ढोंग कर दुश्मनी निभाने वाले बुत व देवता  3 - बुत तोड़ने वाला 4- ईश दूत  हज़रत इबराहीम के चचा जो बुत तराश थे)
कलाम : मसूद बेग तिश्ना
:: Koi Bataaye ::
Ye deen dharm ke jhagde ye jaatiyoN ka wabaal
Ye andhi bheed ke rele ye bhediyoN ka kamaal
Ye zulm o jabr ka taandav wa ye nyaay ka kaal
Ye Raj Dharm ke hai dharmrajiyoN ka dhamaal
.... Koi bataaye mere Hind ko hua kya hai
Zabaan bandi hai aisi ke maut ka dar hai
JahaaN pe saaya nahiN chhat nahiN ye wo ghar hai
Ana ki aag meiN jalte hue butaan - e-nifaaq
Na butshikan hai koi aur na koi Aazar hai
.... Koi bataaye mere Hind ko hua kya hai
Gharibi itni ke choolhe bhi jal nahiN paate
Rakhe cylinder bhi khaali badal nahiN paate
Jo aatm hatya pe majboor haiN kisaan haiN wo
Rahan ke bojh ta'le wo sambhal nahiN paate
.... Koi bataaye mere Hind ko hua kya hai
Chhuri baghal meiN hai lekin zabaaN pe Ram bhi hai
Ye hinsa bheed ki hinsa jinheN haraam bhi hai
Bhatak gaye haiN jawaanaan - e-Hind sad afsos
Berozgaar haiN aur railioN ka kaam bhi hai
.... Koi bataaye mere Hind ko hua kya hai
Aziz jaan ke hamsaayegi meiN rehte the
Ham Eid ho ya Diwali salaam kehte the
JahaaN tha sub'h -e - Banaras, Awadh ki shaam ka husn
Ke dhaare Gang - o- Jaman ke JahaaN pe behte the
.... Koi bataaye mere Hind ko hua kya hai
Kalaam : Masood Baig Tishna




Thursday, April 25, 2019

Ye Taam Jhaam ये ताम झाम یہ تام جھام

:: یہ تام جھام ::
یہ تام جھام یہ جلوے تمہیں مبارک ہوں
ہمیں تو صبحِ بنارس کا انتظار ہے بس
ہم اپنے ملک کو مٹتا ہوا نہ دیکھینگے
وطن کی خاک پہ تشنہ یہ جاں نثار ہے بس
کلام : مسعود بیگ تشنہ
:: Ye taam Jhaam ::
Ye taam jhaam ye jalwe tumheiN mubarak hoN
HameiN to sub'he Banaras ka intezaar hai bas
Ham apne mulk ko mit'ta hua na dekheNge watan ki khaak pe "Tishna" ye jaaN nisaar hai bas
Kalaam : Masood Baig Tishna
:: ये ताम झाम ::
ये ताम झाम ये जलवे तुम्हें मुबारक हों
हमें तो सुब्हे बनारस का इंतिज़ार है बस
हम अपने मुल्क को मिटता हुआ न देखेंगे
वतन की ख़ाक पे "तिश्ना" ये जां निसार है बस
कलाम : मसूद बेग तिश्ना 

Sunday, April 21, 2019

Jeetna Hai जीतना है جیتنا ہے

 ::  جیتنا ہے ::
چاہے جو ہو چُناؤ جیتنا ہے
مارو کاٹو چُناؤ جیتنا ہے
سینہ چھپن کا ہو یا چوپن کا
سینہ ٹھوکو چُناؤ جیتنا ہے
کلام : مسعود بیگ تشنہ
:: जीतना है ::
चाहे जो हो चुनाव जीतना है
मारो काटो चुनाव जीतना है
सीना छप्पन का हो या चौपन का
सीना ठोको चुनाव जीतना है
कलाम : मसूद बेग तिश्ना
:: Jeetna Hai ::
Chaahe jo ho chunav jeetna hai
Maaro kaato chunav jeetna hai
Seena chhappan ka ho ya chaupan ka
Seena thhoko chunav jeetna hai
Kalaam : Masood Baig Tishna 

Friday, April 19, 2019

Vote Ki Qeemat वोट की क़ीमत ووٹ کی قیمت

:: ووٹ کی قیمت ::
اندھا مذہب اور سیاست میں کیا جانوں
دہشتگردی سب کی آفت میں کیا جانوں
کوئی شکھنڈی، کوئی یُدھشٹر ، کوئی ارجُن
جمہوریت، ووٹ کی قیمت میں کیا جانوں
کلام : مسعود بیگ تشنہ
:: वोट की क़ीमत ::
अंधा मज़हब और सियासत मैं क्या जानूँ
देहशत गर्दी सब की आफ़त में क्या जानूँ
कोई शिखंडी, कोई युधिष्ठिर, कोई अर्जुन
जम्हूरिय्यत, वोट की क़ीमत मैं क्या जानूँ
कलाम : मसूद बेग तिश्ना
:: Vote Ki Qeemat ::
Andha mazhab aur siyasat maiN kya jaanuN
Dehshat gardi sab ki aafat maiN kya jaanuN
Koi Shikhandi,  koi Yudhishthir, koi Arjun
Jamhuriyat,  vote ki qeemat maiN kya jaanuN
Kalaam : Masood Baig Tishna 

Tuesday, April 16, 2019

Vote Par Note वोट पर नोट ووٹ پر نوٹ

:: ووٹ پر نوٹ ::
ووٹ پر نوٹ کو نہ ترجیح دو
اصل پر کھوٹ کو نہ ترجیح دو
ظلم و فسطائیت پہ چوٹ کرو
آپسی چوٹ کو نہ ترجیح دو
کلام : مسعود بیگ تشنہ
:: वोट पर नोट ::
वोट पर नोट को न तरजीह दो
अस्ल पर खोट को न तरजीह दो
ज़ुल्‍म ओ फ़स्ताइयत पे चोट करो
आपसी चोट को न तरजीह दो
कलाम : मसूद बेग तिश्ना
:: Vote par Note ::
Vote par note ko na tarjih do
Asl par khot ko na tarjih do
Zulm o fasta'iyat pe chot karo
Aapasi chot ko na tarjih do
Kalaam : Masood Baig Tishna 

Thursday, April 11, 2019

Rafale Deal رافیل ڈیل राफ़ेल डील

:: رافیل ڈیل ::
رافیل کی بھاری چونچ تلے
سرکار کی گردن اٹک گئی
تلوار عدالت کی پھر سے
سرکار کے سر پر لٹک گئی
کلام : مسعود بیگ تشنہ
:: Rafale Deal ::
Rafale ki bhaari chonch ta'le
Sarkar ki gardan atak gayi
Talwar adalat ki phir se
Sarkar ke sar par latak gayi
Kalaam : Masood Baig Tishna
:: राफ़ेल डील ::
राफ़ेल की भारी चोंच तले
सरकार की गर्दन अटक गई
तलवार अदालत की फिर से
सरकार के सर पर लटक गई
कलाम : मसूद बेग तिश्ना 

Sunday, April 7, 2019

Chunavi Qata चुनावी क़ता چُناوی قطعہ

:: چُناوی قطعہ ::
جھوٹ، نفرت، فریب، مکاری
کالے دھن کی سفید بازاری
سچ کے مُہرے کہیں نہ پٹ جائیں
ہے چُناؤ کی خاص تیاری
کلام : مسعود بیگ تشنہ
:: चुनावी क़ता ::
झूट, नफ़रत , फ़रेब, मक्कारी
काले धन की सफ़ेद बाज़ारी
सच के मोहरे कहीं न पिट जाएं
है चुनाव की ख़ास तय्यारी
कलाम : मसूद बेग तिश्ना
 :: Chunavi Qata ::
Jhoot, nafrat, fareb, makkaari
Kaale dhan ki safed baazaari
Sach ke mohre kahiN na pit jaayeN
Hai chunav ki khaas taiyyaari
Kalaam : Masood Baig Tishna




Tuesday, April 2, 2019

GHAZAL غزل ग़ज़ल

:: غزل ::
اپنی لائی بلا کے ساتھ چلے
ڈوبے جو ناخدا کے ساتھ چلے
سب نے بہتی ہوا کا ساتھ دیا
ہم مخالف ہوا کے ساتھ چلے
ساتھ لائے تھے دیوتا وہ بھی
ہم بھی اپنے خدا کے ساتھ چلے
بہتی گنگا میں ڈُبکیاں لے کر
 لوگ بہتی ہوا کے ساتھ چلے
ہم بھی یوسف نہ وہ زلیخا ہی
پھر بھی دامن بچا کے ساتھ چلے
ٹوٹنے سے نہیں بچے لیکن
ہم برابر انا کے ساتھ چلے
زاد راہ میں تھی پوٹلی ماں کی
تشنہ ماں کی دعاء کے ساتھ چلے
کلام : مسعود بیگ تشنہ
:: ग़ज़ल ::
अपनी लाई बला के साथ चले
डूबे जो नाख़ुदा के साथ चले
सब ने बहती हवा का साथ दिया
हम मुख़ालिफ़ हवा के साथ चले
साथ लाए थे देवता वो भी
हम भी अपने ख़ुदा के साथ चले
बहती गंगा में डुबकियां ले कर
लोग बहती हवा के साथ चले
हम भी यूसुफ़ न वो ज़ुलैख़ा ही
फिर भी दामन बचा के साथ चले
टूटने से नहीं बचे लेकिन
हम बराबर अना के साथ चले
ज़ाद ए राह में थी पोटली माँ की
तिश्ना माँ की दुआ के साथ चले
कलाम : मसूद बेग तिश्ना
:: Ghazal ::
Apni laa'ii balaa ke saath chale
Doobe jo nakhuda ke saath chale
Sab ne behti hawa ka saath diya
Ham mukhaalif hawa ke saath chale
Saath laaye the devta wo bhi
Ham bhi apne khuda ke saath chale
Behti Ganga meiN dubkiyaaN lekar
Log behti hawa ke saath chale
Ham bhi Yusuf na wo Zulekha hi
Phir bhi daaman bacha ke saath chale
Tootne se nahiN bache lekin
Ham barabar ana ke saath chale
Zaad e raah meiN thi potli maaN ki
Tishna maaN ki dua ke saath chale
Kalaam : Masood Baig Tishna

Monday, April 1, 2019

GHAZAL غزل ग़ज़ल

:: غزل ::
لال قلعے میں بچھی ہوئی ہے نفرت کی شطرنج
جیسی سیاست ویسی قیادت آفت کی شطرنج
شورش، دنگے، خانہ جنگی کی جنگی تصویر!
اور کیا تصویر دکھائے دہشت کی شطرنج!
حاکم کے ہیں سارے مہرے. شاہ، وزیر، پیادے، گھوڑے
پاؤں تلے پامال ہوئی ہے الفت کی شطرنج
کثرت میں وحدت کا جلوہ دور کا جلوہ ایسا کیوں؟
کثرت کی شطرنجی دابے وحدت کی شطرنج
جیت سکے تو جیت دلوں کو، جوڑ سکے تو جوڑ
چھوڑ دے پیارے یہ شیطانی فطرت کی شطرنج
ظلم و ستم کے مارے یہ سب جبر و ستم کے مارے لوگ
دیکھ اُلٹ نہ ڈالیں تیری طاقت کی شطرنج
 آنے والی نسلیں 'تشنہ' یاد کریں نہ جنگ و جدل
دل سے کھیلو یہ انسانی عظمت کی شطرنج
کلام : مسعود بیگ تشنہ برہانپوری, اندور (انڈیا)
:: ग़ज़ल ::
लाल क़िले में बिछी हुई है नफ़रत की शतरंज
जैसी सियासत वैसी क़ियादत आफ़त की शतरंज
शोरिश, दंगे, ख़ाना जंगी की जंगी तस्वीर!
और क्या तस्वीर दिखाए देहशत की शतरंज!
हाकिम के हैं सारे मोहरे - शाह, वज़ीर, प्यादे, घोड़े
पावों तले पामाल हुई है उल्फ़त की शतरंज
कसरत में वहदत का जलवा दूर का जलवा ऐसा क्यों?
कसरत की शतरंजी दाबे वहदत की शतरंज
जीत सके तो जीत दिलों को, जोड़ सके तो जोड़
छोड़ दे प्यारे ये शैतानी फ़ितरत की शतरंज
ज़ुल्‍म ओ सितम के मारे ये सब जब्र ओ सितम के मारे लोग
देख उलट न डालें तेरी ताक़त की शतरंज
आने वाली नस्लें "तिश्ना" याद करें न जंग ओ जदल
दिल से खेलो ये इंसानी अज़मत की शतरंज
कलाम : मसूद बेग तिश्ना
:: Ghazal ::
Lal Qile meiN bichhi hui hai nafrat ki shatranj
Jaisi siyasat waisi qiyadat aafat ki shatranj
Shorish, dange, khana jangi ki jangi tasweer
Aur kya tasweer dikhaay dehshat ki shatranj
Haakim ke haiN saare mohre - shah, wazeer, pyaade, ghode
PaaoN tale paamaal hui hai ulfat ki shatranj
Kasrat meiN wehdat ka jalwa duur ka jalwa aisa kyoN?
Kasrat ki shatranji daabe wehdat ki shatranj
Jeet sa'ke to jeet diloN ko, jod sa'ke to jod
Chhod de pyaare ye shaitani fitrat ki shatranj
Zulm o sitam ke maare ye sab jabr o sitam ke maare log
Dekh ulat na daaleN teri taaqat ki shatranj
Aane waali nasleN "Tishna" yaad kareN na jang o jadal
Dil se khelo ye insaani azmat ki shatranj
Kalaam : Masood Baig Tishna