Friday, July 31, 2015

Duniya دنیا दुनिया


Duniya


Yeh na keh besabaat hai duniya .
Rabt-e-maut-o-hayat hai duniya.
Bazm-e-hasti-bujhi bujhi si hai.
Bheegi bheegi si raat hai duniya.
Jin ke hisse mein daulat-o zar hai .
Aish ki ek raat hai duniya.
Apne husn-e-nazar ka kya kehna.
Ek nayi kayenaat hai duniya.
Jis ki khushiyon mein gham jhalakte hein.
Woh anokhi baraat hai duniya .
Yaa'n bisaatei'n ulat'ti rehti hein.
Kya aajab kayenaat hai duniya.
Yeh na achchhi hai na buri 'Tishna' .
Mazhar-e-haadesaat  hai duniya.

Kalaam : Masood Baig Tishna,India
Taareekh Kalaam : Nov 28,1974

دنیا


یہ نہ کہ بے ثبات ہے دنیا .
ربط موت و حیات ہے دنیا .
بزم ہستی بجھی بجھی  سی ہے .
بھیگی بھیگی سی رات ہے دنیا .    
جن کے حصّے میں دولت و زر ہے .
عیش کی ایک رات ہے دنیا .
اپنے حسن نظر کا کیا کہنا .
ایک نئی کائنات ہے دنیا .
جسکی خوشیوں میں غم جھلکتے  ہوں .
وہ انوکھی برات ہے دنیا
یہ نہ اچچھی ہے نہ بری تشنہ .
مظہر کائنات ہے دنیا

کلام : مسعود بیگ تشنہ ،انڈیا
تاریخ کلام : ٢٨ نومبر ١٩٧٤

दुनिया


ये ना कह बेसबात है दुनिया।
रब्त-ए-मौत-ओ -हयात है दुनिया।
बज़्म-ए-हस्ती बुझी बुझी सी है।
भीगी भीगी सी रात है दुनिया।
जिन के हिस्से में दौलत-ओ-ज़र है।
ऐश की एक रात है दुनिया।
अपने हुस्न-ए-नज़र का क्या कहना।
एक नई काएनात है दुनिया।
जिसकी ख़ुशियों में ग़म झलकते हों।
वोह अनोखी बरात है दुनिया।
यां बिसातें उलटती रहती हैं।
क्या अजब काएनात है दुनिया।
ये ना अच्छी है ना बुरी 'तिश्ना'
मज़हर-ए-काएनात है दुनिया।

कलाम : मसूद बेग 'तिश्ना',इंडिया
तारीख़ कलाम : २८ नवम्बर १९७४ 



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