Sunday, December 30, 2012

नया साल मुबारक

नया  साल मुबारक 

 नया साल आए तो यूं साल आए 
मिले दिल से दिल ,ज़िन्दगी मुस्कुराए 
जवानी न भटके ,न भटके जवानी 
न इस्मत दरी हो ,न हो छेड़ खानी 
न डाका ज़नी हो न चोरी -चुकारी 
रहे रात -दिन चौकसी ,गश्त भारी 
न फ़िरका परस्ती ,न बे खौफ दंगे 
न पोलिस मुलव्वस ,न गुंडे ,लफ़ंगे 
ये दो हाथ जिन को मिले काम अच्छा 
ये दो पैर चलते रहें गाम अच्छा 
न इतनी ग़रीबी  कि हो भूक बाहर 
न इतनी ग़रीबी  कि बे हाल -ओ -बे घर 
हो मासूम बच्चों का बचपन सुहाना 
फ़क़त घर से स्कूल ही आना जाना 
बुढ़ापे में अपनों का होंवे सहारा 
बुढ़ापे को मिल जाए अच्छा किनारा 
हो माहौल अच्छा ,सेहत अच्छी ख़ासी 
न कोई तमाशा ,न कोई उदासी 

शायर :मसूद बेग तिष्ना

31दिसम्बर ,2012,इंदौर [इंडिया]


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