4 Four lines
.4 चार लाएनें.मसूद बेग की....................१..................
तेरी, मेरी, सब की दुनिया
कितनी ,प्यारी ,अच्छी,दुनिया
दुनिया को न नरक बनाओ
जन्नत जैसी सब की दुनिया
.....................२.................
जीवन कितना है अनमोल
इस को दौलत से मत तोल
ये जीवन अनसुलझी गुत्थी
इस को धीरे धीरे खोल
....................३
उम्र की पायेदान पर आगे
बैठे ऊँची मचान पर आगे
कब उतरना है कुछ पता ही नहीं
क्या कहें इस गुमान पर आगे
...................४.....................
वस्ल की रात ,शब् की तन्हाई
सज गई दिल की बज़्म आराई
होश में जोश ,जोश में जज्बे
भर गई जिस्म-ओ-जान की खाई
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