Wednesday, February 27, 2019

Na Jang Aazmao ना जंग आज़्माओ نہ جنگ آزماؤ

:: نہ جنگ آزماؤ ::
اے وقت کے خداؤ
طاقت کے پیشواؤ
نفرت سے باز آؤ
دہشت سے باز آؤ
جھوٹی بہادری کے
نغمے نہ گُنگُناؤ
اپنی بڑائی اپنا
سینہ نہیں دکھاؤ
زندوں کی بےبسی پرل
لاشیں نہ تم گراؤ
لاشوں کی لاج رکھ لو
لاشیں نہ تم گناؤ
یہ تخت یہ حکومت
جنتا کا ہے چُناؤ
اپنی انا پہ اڑ کر
 یہ داؤ نہ لگاؤ
صلح کے راستے پر
اپنی خوشی سے آؤ
وہ بھی قدم بڑھائے
تم بھی قدم بڑھاؤ
نہ نفرتیں بڑھاؤ
نہ دہشتیں بڑھاؤ
امن و اماں کو تج کر
نہ جنگ آزماؤ
نہ جنگ آزماؤ
نہ جنگ آزماؤ
کلام : مسعود بیگ تشنہ
:: ना जंग आज़्माओ ::
ऐ वक़्त के ख़ुदाओ
ताक़त के पेशवाओ
नफ़रत से बाज़ आओ
देहशत से बाज़ आओ
झूठी बहादुरी के
नग़मे न गुनगुनाओ
अपनी बड़ाई अपना
सीना नहीं दिखाओ
ज़िंदों की बेबसी पर
लाशें न तुम गिराओ
लाशों की लाज रख लो
लाशें न तुम गिनाओ
ये  तख्त ये हुकूमत
जनता का है चुनाव
अपनी अना पे अड़ कर
ये दाव न लगाओ
सुल्हो के रास्ते पर
अपनी खुशी से आओ
वो भी क़दम बढ़ाए
तुम भी क़दम बढ़ाओ
न नफ़रतें बढ़ाओ
न देहशतें बढ़ाओ
अम्न ओ अमान् को तज कर
न जंग आज़्माओ
न जंग आज़्माओ
न जंग आज़्माओ
कलाम : मसूद बेग तिश्ना
:: Na jang aazmao ::
Ai waqt ke kbuda'o
Taaqat ke peshwao
Nafrat se baaz aao
Dehshat se baaz aao
Jhooti bahaduri ke
naghme na gungunao
Apni badaai apna
Seena nahiN dikhao
ZindoN ki bebasi par
 laasheN na tum girao
LaashoN ki laaj rakh lo
LaasheN na tum ginao
Ye takht ye Hukumat
Janta ka hai chunao
Apni ana pe adkar
Ye dao na lagao
Sulho ke raaste par
Apni khushi se aao
Wo bhi qadam bad'haay
Tum bhi qadam bad'hao

Na nafrateN bad'hao
Na dehshateN bad'hao
Amn o amaaN ko taj kar
Na jang aazmao
Na jang aazmao
Na jang aazmao
Kalaam : Masood Baig Tishna


Tarahi Ghazal तरही ग़ज़ल طرحی غزل

:: طرحی غزل ::
 بگڑے گی اپنی بات اگر بات ہوگئی٠
 ہم جیت میں ابھی ہیں، اگر مات ہو گئ٠
 دُشمن کو انتظار ہے شب خون ماریے٠
 کس بات کی ہے دیر بہت رات ہو گئی٠
 تختہ پلٹ ہی جائے گا پل بھر میں دیکھنا٠
 دنیا اگر جو واقفِ حالات ہوگئی٠
 تدبیر کام آ گئی موقعے پہ وار کی٠
 تقریر اپنی پیکرِ جذبات ہوگئی٠
 نرغے میں دشمنوں کے پھنسے تو پتا چلا٠
  اپنے ہی دوستوں سے ملاقات ہوگئی٠
( حفیظ جالندھری)
 سوکھا پڑا تھا اپنی سیاسی زمین پر٠
 ہمدردیوں کی بےوجہ برسات ہوگئی٠
 بس ہاتھ کھینچ لیجیے "تشنہ" بہت ہُوا ٠
 ورنہ کہینگے لوگ خرافات ہوگئی٠
 کلام : مسعود بیگ تشنہ
:: तरही ग़ज़ल ::
बिगड़ेगी अपनी बात अगर बात हो गई.
हम जीत में अभी हैं, अगर मात हो गई.
दुश्मन को इंतज़ार है शब ख़ून मारिये.
किस बात की है देर, बहुत रात हो गई.
तख्ता पलट ही जाएगा पल भर में देखना.
दुनिया अगर जो वाक़िफ़ ए हालात हो गई.
तदबीर काम आ गई मौक़े पे वार की.
तक़रीर अपनी पैकर ए जज़्बात हो गई.
नर्ग़े में दुश्मनों के फंसे तो पता चला.
" अपने ही दोस्तों से मुलाक़ात हो गई".
(हफ़ीज़ जालंधरी)
सूखा पड़ा था अपनी सियासी ज़मीन पर.
हम्दर्दियों की बेवजह बरसात हो गई.
बस हाथ खींच लीजिए "तिश्ना" बहुत हुआ.
वर्ना कहेंगे लोग ख़ुराफ़ात हो गई.
कलाम : मसूद बेग तिश्ना
:: Tarahi Ghazal ::
Bigdegi apni baat agar baat ho gaee.
Ham jeet meiN abhi haiN, agar maat ho gaee.
Dushman ko intezaar hai shab khoon maariye.
Kis baat ki hai der, bahut raat ho gaee.
Takhta palat ho jayega pal bhar meiN dekhna.
Duniya agar jo waaqif e haalaat ho gaee.
Tadbeer kaam aa gaee mauqe pe waar ki.
Taqreer apni paikar e jazbaat ho gaee.
Narghe meiN dushmanoN ke phaNse to pata chala.
" Apne hi dostoN se mulaqaat ho gaee" .
(Hafiz Jalandhari)
Sookha pada tha apni siyasi zameen par.
HamdardiyoN ki bewajah barsaat ho gaee.
Bas haath kheeNch lijiye Tishna " bahut hua.
Warna kaheNge log khurafaat ho gaee.
Kalaam : Masood Baig Tishna


Tuesday, February 26, 2019

Chalo bam giraa'eN चलो बम गिराएं چلو بم گرائیں

:: چلو بم گرائیں ::
کچھ تم گراؤگے کچھ ہم گرائیں
یہی بم ہمیں بھی الیکشن جتائیں
تمنائے حل نہ تمہیں نہ ہمیں ہے
ادھر جاں سے جائیں اُدھر جاں سے جائیں
کلام : مسعود بیگ تشنہ
:: चलो बम गिराएं ::
कुछ तुम गिराओगे कुछ हम गिराएं.
यही बम हमें भी इलेक्शन जिताएं.
तमन्नाए हल ना तुम्हें ना हमें है.
इधर जां से जाएं उधर जां से जाएं.
कलाम : मसूद बेग तिश्ना
:: Chalo bam giraa'eN ::
Kuchh tum gira'oge kuchh ham giraa'eN.
Yehi bam hameN bhi election jitaa'eN.
Tamanna e hal na tumheN na hameN hai.
Idhar jaaN se jaa'eN udhar jaaN se jaa'eN.
Kalaam : Masood Baig Tishna