Sunday, April 26, 2015

Zalzala [ Nepal-Bharat ke bhukam piditon ko samarpit kavita ] ज़लज़ला [नेपाल -भारत के भूकंप पीड़ितों को समर्पित कविता ]

ज़लज़ला

[नेपाल -भारत  के  भूकंप  पीड़ितों को समर्पित कविता ]


ज़लज़ला धरती पे आता है तो आता क्यों है? # इक क़यामत सी हर एक ओर मचाता क्यों है ?
काँप उठता है  क्यों धरती का सीना एक दम # ज़लज़ला बस्ती की बस्ती को मिटाता क्यों है ?
वो हो नेपाल ओ हिमालय कि बिहार ओ यू पी # माल की ,जां की तबाही ये  मचाता  क्यों है ?

क्यों ये चलती हैं ,खिसकती हैं प्लेटें अंदर # धरती पे  इन का ये टकराओ नचाता क्यों है ?
क्यों है क़ुदरत का तमाशा ये? ,बताओ क्यों है ? # मौत है ज़िंदा हक़ीक़त ये दिखाता  क्यों है ?
 अपने कर्मों का है फल या है ये धरती का वबाल # ज़लज़ला आता है लेकिन ये रुलाता क्यों है ?
तेरी क़ुदरत ही सही रब तेरी क़ुदरत ही सही # इतनी शिद्दत से ये इंसां को सताता क्यों है ?
ज़र्रा ज़र्रा बदी नेकी का मिलेगा बदला # इस पे ईमान ये इंसा नहीं लाता क्यों है ?

कलाम :मसूद बेग `तिश्ना  `,इंदौर ,इंडिया    तारीख़ :27 अप्रैल 2015

Sunday, April 5, 2015

طرحی غزل بہ یاد اقبال Tarahi Ghazal Ba Yaad E Iqbal

Tarahi Ghazal Ba Yaad E Iqbal
Gazal bar Kul Hind Tarahi Mushaira ba yaad e Iqbal
 Munaqida  11 February 1978; Khandwa, India

طرحی غزل بہ یاد اقبال
غزل برکل ہند  طرحی مشاعرہ بہ یاد  اقبال
طرحی مصرع : گوشہ ء دل میں چھپائے اک جہان_اضطراب
 منعقدہ ١١فروری ١٩٧٨ کھنڈ وہ , انڈیا

'گوشہء  دل میں چھپائے اک جہان_اضطراب'
 کتنی  خاموشی سے برپا کر رہا ہوں انقلاب
تہ کی باتیں تک جو پی سکتا نہ ہو ایسا حباب
 لاکھ ابھرے پا نہیں سکتا مگر گوہر کی آب
جز سکوتِ مرگ باقی پھر نہ کچھ رہ جائے گا
 زندگی  نےکھود یا گر زندگی کا اضطراب      
کیا نہیں انسان  کی مٹھی  ھی میں دنیاۓ بسیط ؟
کیا نہیں انسان  کی ٹھوکر میں لاکھوں آفتاب ؟
زندگی کو  ہم نے جب تک غور سے دیکھا نہ تھا
 ہر حقیقت ہم کو آتی تھی نظر مثل_سراب
کیوں نہ دیں ہم خاک کے ذرّوں کو تاروں کی چمک ؟
 کیوں نہ دھرتی سے اگائیں ایک روشن ماہتاب؟
آتش_غم سے دمک اٹھتا ہے چہرہ کس قدر
زندگانی کے لئے اکسیر ہے غم کی شراب
جھونپڑوں میں رہنے والے آجکل بیدار ہیں
صرف محلوں میں نظر آتے  ہیں اب محلوں کے خواب
عمر بھر" تشنہ"  نہ دیکھا پیار سے جسنے کبھی
ہم نے ایسی زندگی کے رخ پہ لہرائے گلاب

کلام :مسعود بیگ تشنہ ،اندور انڈیا
تخلیق کی تاریخ :٦فروری ١٩٧٨
نوٹ ؛مصرع اولیٰ طرحی مصرع ہے  جو علامہ اقبال کی نظم `خضر  راہ `کے پہلے شعر کا ثانی مصرع ہے