ज़लज़ला
[नेपाल -भारत के भूकंप पीड़ितों को समर्पित कविता ]
ज़लज़ला धरती पे आता है तो आता क्यों है? # इक क़यामत सी हर एक ओर मचाता क्यों है ?
काँप उठता है क्यों धरती का सीना एक दम # ज़लज़ला बस्ती की बस्ती को मिटाता क्यों है ?
वो हो नेपाल ओ हिमालय कि बिहार ओ यू पी # माल की ,जां की तबाही ये मचाता क्यों है ?
क्यों ये चलती हैं ,खिसकती हैं प्लेटें अंदर # धरती पे इन का ये टकराओ नचाता क्यों है ?
क्यों है क़ुदरत का तमाशा ये? ,बताओ क्यों है ? # मौत है ज़िंदा हक़ीक़त ये दिखाता क्यों है ?
अपने कर्मों का है फल या है ये धरती का वबाल # ज़लज़ला आता है लेकिन ये रुलाता क्यों है ?
तेरी क़ुदरत ही सही रब तेरी क़ुदरत ही सही # इतनी शिद्दत से ये इंसां को सताता क्यों है ?
ज़र्रा ज़र्रा बदी नेकी का मिलेगा बदला # इस पे ईमान ये इंसा नहीं लाता क्यों है ?
कलाम :मसूद बेग `तिश्ना `,इंदौर ,इंडिया तारीख़ :27 अप्रैल 2015