Friday, June 29, 2012

                      बीते दिनों की बात पुरानी  ...एक पुराना गीत
बीते दिनों  की बात  पुरानी ,कोई नया  नगमा  छेड़ें
टूट गए  जो रिश्ते नाते ,फिर उन को न छेड़ें           
किस्से कहानी  में होते थे  परियां और शहजादे
ये सब किस्से हुए पुराने ,कोई नया किस्सा छेड़ें
                    बीते दिनों की बात पुरानी ,कोई नया नगमा छेड़ें
यह दुनिया है कितनी प्यारी ,इस दुनिया से प्यार करें
जो बीती सो बीत गई ,अब सपन नए साकार करें
झूठी सच्ची बातें सोचें ,झूठे सच्चे विचार करें
झूठे सच्चे सपनों का हम जीवन भर व्यापर करें
                     बीते दिनों की बात पुरानी ,कोई नया नगमा छेड़ें
हम हैं राही सब से अच्छे ,सब से अनोखे ,सब से न्यारे
साथ चलें तो साथ निबाह दें ,वर्ना दूर किनारे
चलते चलते थक कर रुकना ,रुकना ,रुक रुक कर चलना
सारा जीवन एक सफ़र है जो रुक जाए हारे
.    शायर .............मसूद बेग `तिश्-ना ` ...........ता .30 जून 2012,इंदौर